बिहार का आंकड़ा गलत ,मतभेद - पासवान बोले- बिहार का30 लाख नए परिवार कहां से जोड़े, सहनी ने जवाब दिया- आंकड़ा सही, पीएम दिलाएं यहां गरीबों को हक
पटना -बिहार में गरीबों को राशन देने जनवितरण प्रणाली के जरिए इस सका मामला प्रधानमंत्री के दरवाजे पर पहुंच गया है। दरअसल , केंद्रीय खाद्य मंत्रालय ने बिहार सरकार द्वारा 30 लाख नए परिवारों के लिए अतिरिक्त अनाज की मांग को खारिज कर दिया है। इसके बाद बिहार के खाद्य एवं उपभोक्ता संरक्षण मंत्री ने मदन सहनी ने इस मामले में प्रधानमंत्री से हस्तक्षेप का आग्रह किया है।
आंकड़ा अनुमान बिहार का - लाभार्थियों की संख्या में संशोधन जनगणना के बाद ,पासवान
केंद्रीय खाद्य मंत्री रामविलास पासवान ने कहा कि अनुमान पर अनाज का आवंटन नहीं किया जा सकता। 2013 में बने राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम में स्पष्ट प्रावधान है कि लाभार्थियों की संख्या में कोई संशोधन अगली जनगणना के आंकड़ों के आधार पर ही होगा। ऐसे में अभी इसमें किसी तरह का संशोधन या परिवर्तन कैसे किया जा सकता है? पहले ही बिहार से कम लोगों की सूची दी गयी है, उसमें ही लाखों नाम छूटे हुए हैं। ऐसे में नए नाम बगैर नयी जनगणना के आंकड़ों के कैसे शामिल होंगे? केंद्र ने तो छूटे हुए लोगों के लिए प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना के तहत तत्काल तीन माह का अनाज दे दिया है, लेकिन राज्य सरकार इन छूटे हुए लोगों की सूची भेज दे तो उन्हें स्थायी रूप से राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के तहत शामिल कर लिया जाएगा। बिहार के खाद्य मंत्री ने 2021 की औपबंधिक जनसंख्या के आधार पर 150 लाख नए लाभुकों के लिए 75 हजार टन अनाज के आवंटन की मांग की है, जबकि पहले ही 2011 की जनगणना के अनुसार 14.04 लाख लाभुक कम हैं।
हमारा आंकड़ा सही- क्या 2021 की जनगणना तक गरीबों को राशन नहीं मिलेगा: सहनी
बिहार के खाद्य आपूर्ति मंत्री मदन सहनी ने कहा कि कोरोना संकट के मौजूद दौर में बिहार सरकार राहत के महाअभियान को अंजाम देने में जुटी है। राज्य में राशन कार्ड से वंचित नए परिवारों के लिए प्रतिमाह 75000 टन अतिरिक्त अनाज उपलब्ध कराने का अनुरोध केंद्र सरकार से किया गया है। बिहार सरकार द्वारा तैयार कराया गया डाटा पूरी तरह सही है। केंद्रीय खाद्य मंत्रालय इस पर बेवजह आपत्ति कर रहा है। राशन कार्ड से वंचित परिवारों के आंकड़े को हमने दो स्तर पर जुटाया है। पहला, आरटीपीएस काउंटर के जरिए और दूसरा, जीविका द्वारा सर्वे कराया गया है। अगली जनगणना 2021 में होगी। सवाल उठता है कि क्या उस समय तक गरीबों को राशन नहीं मिलेगा? पहले से किसको पता था कि जनगणना से पहले कोरोना आ जाएगा? अगर केंद्रीय खाद्य मंत्रालय को पूरे नाम-पते के साथ लिस्ट चाहिए, तो वह भी मुहैया करा दी गई है। लेकिन, वे हमारे भेजे गए आंकड़े को ऐसे कैसे खारिज कर सकते हैं? हम तो प्रधानमंत्री से आग्रह कर रहे हैं कि अब वे ही कोई गाइडलाइन दें।
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