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शीशम के नौ पेड़ थे एक ही कतार में इस लिए गंगा पार कहलाया नवगछिया
पुलिस जिले का नाम नौगछिया कैसे पड़ा इसके पीछे एक कहानी है बताया जाता है कि भागलपुर से चले पांच पीर की नजर नवगछिया इलाके में एक ही कतार में लगे नौ शीशम के पेड़ पर पड़ी और यही से इस इलाके का नाम नवगछिया हो गया इस इलाके में पेड़ को गाछ भी कहा जाता है इन पांच पीरों में से चार पीर का मजार आज भी नवगछिया इलाके में स्थित है जबकि एक पीर का मजार मनाली चौक भागलपुर में घुरन पीर बाबा के नाम से जाना जाता है सबसे बड़े पीर मांगन शाह है जिनका मजार बिहपुर के मिल्की में स्थित है जहां हर साल लाखों लोग श्रद्धा लिए उर्स मनाते है नवगछिया के माखातकिया इलाके में एक मजार स्थित है इन तीनों में से मांगन पीर बाबा की कहानी चमत्कारिक है मक्का से लौटने के बाद बाबा ने मिल्की के एक बड़े कायस्थ जमींदार के यहां नौकरी शुरू की नौकरी के दौरान उन्होंने अपने मालिक के विषय में कई तरह की भविष्यवाणी की पहले तो मालिक को यकीन नहीं हुआ लेकिन कोलकाता में एक मुकदमे में जीत के बाद कायस्थ मालिक को भी मांगन बाबा की ताकत का एहसास हुआ और बाद में वह भी उनके मुरीद हो गए यही कारण है कि मिल्की की मजार पर सब से पहली चादरपोशी कायस्थ परिवार से ही होती है मजार हिंदू मुस्लिम एकता की मिसाल के रूप में भी जिले में जाना जाताहै इसके अलावा नौगछिया इलाके में कई और मजारे हैं जहां अदब के साथ लोग दुआ मांगते हैं नवगछिया इलाके में सबसे ज्यादा स्वतंत्रता सेनानी है कभी इलाका आजादी के दीवानों का घर हुआ करता था बिहपुर का स्वराज आश्रम आज भी आजादी की कहानी को सुनाता है बिहपुर स्टेशन पर जबराजेंद्र बाबू को लाठी लगी थी वही नवगछिया स्टेशन पर अपनी शादी के 2 दिन बाद ही शहीद मुंशी शाह ने अंग्रेजों की गोली खाई थी कहा जाता है कि खरीद के भवनपुरा के रामगती सिंह ने बिहपुर स्टेशन पर अंग्रेजों की लाठी अपने माथे पर ले ली थी यही कारण था कि राजेंद्र बाबू की जान बची थी देश के प्रथम राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद की जान रामगति सिंह ने बचाई थी
लेखक:
रूप कुमार
वरिष्ठ पत्रकार
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