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रविवार, 29 जुलाई 2018

शादी में लौवा गेले झौवा काटे, और बकलोल बभना जैसे गाना का प्रचलन बंद हो : प्रमोद कुमार नारायणपुर

Gosaingaon Samachar
शादी विवाह में ग्रामीण क्षेत्र में आजकल पौराणिक रीति-रिवाजों के ही अनुसार जाति विशेष गाने गाए जाते हैं जिससे आपसी भेदभाव में भी कहीं ना कहीं नजर आता हैं , यह कहना हैं प्रमोद कुमार का , पढिये प्रमोद कुमार नारायणपुर के कलम से लेखनी से

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शुभ विवाह --
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शुभ विवाह के अवसर पर हमलोग कुछ ऐसे गीत बजाते हैं । जिससे किसी विशेष जाति के लोगों को दु:ख होता है । ना चाहते हुए भी हमलोग उन्हें अपमानित करते हैं ।
            जबकि हिन्दू धर्म में इनके बिना ( नाई और ब्राह्मण ) विवाह , मुण्डन और श्राद्ध शुभ नहीं माना जाता है ।
** जैसे -
लौआ गेलै झौआ काटे  और  बकलेल्ह बभना जैसे अनेकों गीत हम बजाकर उन्हें अपमानित करने का काम करते हैं ।
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और  इनके अलावे भी हमलोगों को पता नहीं विवाह के शुभ अवसर पर ही खराब से खराब गीत बजाने में क्यों मन लगता है  ?
जबकि  विवाह के बाद उस खराब गीत को हम सपरिवार नहीं सुन सकते हैं ।
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अत: सबों से प्रार्थना है कि किसी जाति विशेष को अपमानित करने वाला और खराब गीत ना बजायें ।
**/ प्रमोद कुमार , बिहार प्रदेश उपाध्यक्ष , विश्व मानवाधिकार परिषद
सह - जन अधिकार पार्टी जिला युवा उपाध्यक्ष , भागलपुर

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