Gosaingaon Samachar
शादी विवाह में ग्रामीण क्षेत्र में आजकल पौराणिक रीति-रिवाजों के ही अनुसार जाति विशेष गाने गाए जाते हैं जिससे आपसी भेदभाव में भी कहीं ना कहीं नजर आता हैं , यह कहना हैं प्रमोद कुमार का , पढिये प्रमोद कुमार नारायणपुर के कलम से लेखनी से
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शुभ विवाह --
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शुभ विवाह के अवसर पर हमलोग कुछ ऐसे गीत बजाते हैं । जिससे किसी विशेष जाति के लोगों को दु:ख होता है । ना चाहते हुए भी हमलोग उन्हें अपमानित करते हैं ।
जबकि हिन्दू धर्म में इनके बिना ( नाई और ब्राह्मण ) विवाह , मुण्डन और श्राद्ध शुभ नहीं माना जाता है ।
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लौआ गेलै झौआ काटे और बकलेल्ह बभना जैसे अनेकों गीत हम बजाकर उन्हें अपमानित करने का काम करते हैं ।
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और इनके अलावे भी हमलोगों को पता नहीं विवाह के शुभ अवसर पर ही खराब से खराब गीत बजाने में क्यों मन लगता है ?
जबकि विवाह के बाद उस खराब गीत को हम सपरिवार नहीं सुन सकते हैं ।
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अत: सबों से प्रार्थना है कि किसी जाति विशेष को अपमानित करने वाला और खराब गीत ना बजायें ।
**/ प्रमोद कुमार , बिहार प्रदेश उपाध्यक्ष , विश्व मानवाधिकार परिषद
सह - जन अधिकार पार्टी जिला युवा उपाध्यक्ष , भागलपुर
aapka soch bahut tarif laayak h jarur band hona chaliye kitna apmanit hota h jaati suchak geet sunkar ham aapke sath h
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