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शुक्रवार, 6 अप्रैल 2018

बच्चों के मिशन एडमिशन और किताब से अभिभावक से निकल रहेंआंखों में पानी

मिशन एडमिशन और किताबों के जुगाड़ में अभिभावकों छूट रहे हैं पसीने

मिशन एडमिशन और किताबों के जुगाड़ में अभिभावकों छूट रहे हैं पसीने

,, एडमिशन और रि एडमिशन में मानकों का कोई पालन नहीं

,, नवगछिया के कई विद्यालयों के किताबों के लिए सिर्फ एक ही दुकान

नवगछिया प्रतिनिधि : बेहतर शिक्षा के नाम पर नवगछिया में गली गली खुले विद्यालयों में इन दिनों एडमिशन, रि एडमिशन और किताबों के चक्कर में अभिभावकों के पसीने छूट रहे हैं. कहीं पर रि एडमिशन के नाम पर अवैध वसूली की जा रही है तो कहीं पर एडमिशन की प्रक्रिया को इस तरह से दुरूह बना दिया जा रहा है कि अभिभावक लगातार विद्यालय के चक्कर काट रहे हैं. अगर अभिभावक अपनी गाढ़ी कमाई खर्च कर एडमिशन करवाने में सक्षम हो भी जाता है तो इसके बाद किताबों का जुगाड़ करने में भी अभिभावकों की जेंबे जम कर काटी जाती है.

एडमिशन और रिएडमिशन : अनुमंडल में करोड़ों की उगाही

नवगछिया में इन दिनों एडमिशन और रिएडमिशन के नाम पर करोड़ों की उगाही हो रही है. इसमें नवगछिया के बड़े स्कूल तो शामिल हैं ही साथ ही साथ गांव के छोटे छोटे कानवेंट जहां स्कूलों के मानक का भी पालन नहीं होता है वैसे स्कूल भी शामिल हैं. पिछले दिनों रंगरा के एक निजी स्कूल का मामला थाना पहुंचने की घटना से सभी अवगत हैं. स्कूलों में इन दिनों एडमिशन के नाम पर न्यूनतम पांच हजार रूपये से 20 हजार रूपये तक एडमिशन के नाम पर लिये जा रहे हैं तो दूसरी तरफ रिएडमिशन के नाम पर विद्यालयों में पांच हजार रूपये वसूल किये जा रहे हैं. मालूम हो कि नवगछिया अनुमंडल में 50 से भी अधिक स्कूल हैं. ऐसे में छात्रों की संख्या प्रत्येक स्कूल औसतन तीन सौ बच्चों के हिसाब से भी देखा जाय तो करोड़ों की उगाही हो चुकी है या होनी है.

किताबों का भी फंडा चौकाउ

नवगछिया के प्रमुख विद्यालयों में एडमिशन और रिएडमिशन के बाद बच्चों को किताब उपलब्ध करवाने का भी धंधा भी करोड़ों का है. हरेक स्कूलों के अपने अपने दुकान हैं. अभिभावक किसी भी सूरत में अपने मनचाहे दुकान से किताबें नहीं खरीद सकता है. उदाहरण के लिए शहर के दो प्रमुख स्कूलों बाल भारती और सावित्री पब्लिक स्कूल का उदाहरण लिया जाय तो पता चलेगा कि दोनों स्कूलों की किताबें शहर के किताब दुकान विद्या मंदिर में ही उपलब्ध है. बाल भारती प्रबंधन का दावा है कि वह अभिभावकों को दस फीसदी छूट देता है और किताबों के लिए स्कूल में ही स्टॉल भी लगाया जाता है जबकि सावित्री पब्लिक स्कूल की किताबें विद्या मंदिर में ही उपलब्ध है. बालभारती प्रबंधन ने दावा किया है कि पांच फीसदी छूट दी जा रही है. नवगछिया के कई अभिभावकों ने बताया कि भागलपुर में कई ऐसे दुकान हैं जहां पर 25 से तीस फीसदी छूट दी जा रही है लेकिन नवगछिया में पांच से दस फीसदी छूट ही दी जा रही है. दूसरी तरफ अभिभावकों पास कोई दूसरा विकल्प भी नहीं है. इसका कारण है कि विद्यालयों द्वारा कई प्रकाशकों की किताबों का चयण किया जाता है. एक दो प्रकाशकों की किताबें दूसरे दुकान में मिल भी जाय तो अधिकांश किताबें स्कूलों के बताये दुकान में खरीदने की मजबूरी होगी. इस तरह की कहानी नवगछिया के एक दो विद्यालयों की नहीं वरन अधिकांश विद्यालयों की यही
स्थिति है.

कहते हैं एसडीओ

नवगछिया के एसडीओ मुकेश कुमार ने बताया कि मामले की पूरी जानकारी लेने के
बाद वे इस मामले में कार्रवाई करेंगे.

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