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शनिवार, 12 दिसंबर 2015

ये हैं शराफत मियां, नमाज अदा करने के बाद करते हैं मंदिर में पूजा

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कुछ लोग अपने मजहब के बजाय इंसानियत को तवज्‍जो देते हैं. ऐसे ही लोगों में से एक हैं कोटद्वार के रहने वाले शराफत मियां, जो दूसरे धर्म के लोगों के लिए भी मिसाल बने हैं.
शराफत मियां मस्जिद में नमाज अदा करने के साथ मंदिर में पूजा-अर्चना भी करते हैं. ऐसा करने की वजह पूछने पर कहते हैं कि मेरा अंतिम उद्देश्‍य समाज और देश की भलाई है. मुझे उम्‍मीद है कि अलग-अलग जगहों पर अपने मालिक को याद करने से शायद वह इस देश और समाज में अमन कायम रखे.
अपने नाम के समान ही शराफत मियां इंसानियत के धर्म का फर्ज निभाते हैं. गरीब परिवार से ताल्लुक रखने वाले शराफत मियां ज्यादा पढ़े-लिखे तो नहीं हैं, लेकिन उनकी इंसानियत की तालीम दूसरों के लिए नजीर बनी हुई है. शहर में कौमी एकता की मिसाल के रूप में पहचान रखने वाले शराफत मियां एक ओर जहां मस्जिद में अल्ला की इबादत करते हैं, वहीं दूसरी ओर मंदिर में श्याम रंग में रंगे होते हैं. बचपन से ही सभी धर्मों को एक समान मानने वाले शराफत मियां नाम से ही शराफत की नहीं बल्कि अपने कर्मों से भी शराफत की जीती जागती तस्वीर हैं.
शहर में मजहब के कुछ तथाकथित ठेकेदारों ने जब-जब कोटद्वार शहर का माहौल खराब करने की कोशिश की, तब-तब शराफत मियां सांप्रदायिक सौहार्द की मिसाल बनकर सामने आए. इतना ही नहीं, आज शराफत मियां अपनी लेखनी से भी समाज की कुरीतियों के खिलाफ जेहाद छेड़े हुऐ हैं. कोटद्वार की गलियों में पले-बढ़े शराफत मियां ने कौमी एकता की जो मिसाल इस शहर में पेश की है, उसकी जानकार भी तारीफ करते हैं.

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