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गुरुवार, 22 सितंबर 2016

सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा एक सैनिक की जिज्ञासा भरी खत : पढनें के बाद आप भी हो जाएंगे द्रविभूत

जम्मू कश्मीर के उडी में हुए आतंकी हमले के बाद किसी लेखक द्वारा रचित एक ख़त सोशल मीडिया पर जम कर वायरल हो रहा हैं जो निम्न हैं ।

आदरणीय,
प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी, जयहिंद।
मैं भारतीय फौज का एक मामूली सा सिपाही हूं। मेरी तैनाती भी इस वक्‍त कश्‍मीर में ही है। लेकिन, दुर्भाग्‍य से मेरी तैनाती उरी के बेस कैंप में नहीं है। जब से हमें ये पता चला है कि उरी अटैक में हमारे 18 साथी शहीद हो गए हैं। हम अपने आप को रोक नहीं पा रहे हैं। हमारा खून खौल रहा है। लेकिन, फौज की नौकरी में हुँ इसलिए बेहद ही अनुशासित भी हूं। मैं अनुशासन के खिलाफ नहीं जा सकता। इसी अनुशासन को ध्‍यान में रखते हुए मैं अपनी पहचान भी छिपा रहा हूं। क्‍योंकि ड्यूटी में रहते हुए मेरी जिम्‍मेदारियां मुझे इस बात की इजाजत नहीं देती कि मैं आपको खत लिखूं। लेकिन, हम हर मिनट अपने साथियों के भीतर गुस्‍सा देखते हैं।
इसलिए जरुरी है कि फौज की भावनाएं भी आप तक पहुंचे। मेरी आपसे अपील है कि उरी अटैक के बाद ये वक्‍त सोचने का नहीं बल्कि ठोंकने का है। हमें बस आपके एक आदेश का इंतजार है। हम पाकिस्‍तानी आतंकियों को जवाब देने के लिए तैयार नहीं हैं। पता है प्रधानमंत्री जी एक सैनिक को सबसे ज्‍यादा तकलीफ कब होती है। शायद आपको ना पता हो। मैं आपको बताता हूं। एक सैनिक को सबसे ज्‍यादा तकलीफ इस बात की होती है कि जब वो बिना लड़े शहीद हो जाता है। उरी अटैक में भी ज्‍यादातर सैनिकों के साथ भी यही हुआ। हम लोग जब खाली वक्‍त में एक दूसरे से बात करते हैं तो यही कहते हैं कि हम पर कोई पीछे से वार ना करे। हमे सोते हुए ना मारे। ऐसे में हमारे अरमान दिल में ही मर जाते हैं।
एक सैनिक की आत्‍मा को शांति नहीं मिलती है। मरने के बाद भी हमे और हमारे परिवारवालों को ये अफसोस रहेगा कि हम बिना लड़े ही शहीद हो गए। इसलिए हमारी आपसे विनती है कि आप सबकुछ देख-समझ कर हमें आदेश दें ताकि हम दुश्‍मन की छाती पर वार कर खुद की छाती पर भी गोली खा सकें। यकीन मानिए प्रधानमंत्री जी, उरी अटैक से पहले और बाद दोनों ही वक्‍त देश की जनता के साथ-साथ भारतीय फौज को भी आप पर बहुत भरोसा है। आप बस हमारे इस भरोसे को मत तोडिएगा। मेरी एक कजन है। वो भी आपका बहुत बडी फैन है। उरी अटैक के बाद उसने मुझे फोन किया था। वो मुझसे पूछ रही थी कि भाई आप ठीक तो हो ना। आपको कहीं गोली तो नहीं लगी।
मेरी शादी हुई नही पर एक होने वाली बेगम है जो हमेशा मुझसे पूछती है आतंकवादी कैसे होते हैं। आप लोगों के पास तो इतनी सारी और इतने बड़ी-बड़ी गन होती है फिर आप उन आतंकियों को मार क्‍यों नहीं देते। मोदी जी हम अपने होने वाली बेग़म को समझाते हैं और बताते हैं कि आतंकवादी हम जैसे ही दिखते हैं। हमारे बीच में ही रहते हैं। उन्‍हें पहचानना मुश्किल होता है। उनकी पहचान तब होती है कि जब वो हमारे हाथों मारे जाते हैं। मेरी बेग़म ने मुझसे प्राॅमिस लिया है कि मैं उन में से किसी एक आतंकि को पकड़ कर घर वापस आउंगा जिन्‍होंने आपके जैसे फौजियों को मारा है। मोदी जी हमारे बस आपसे यही विनती है, यही निवेदन है कि बस हमें एक मौका दीजिए। आतंकवाद के इस सफाए के लिए। क्‍योंकि अब बहुत हो गया। बर्दास्‍त नहीं होता है सर। अगर आपने कुछ नहीं किया तो हमारा हौंसला टूट जाएगा। जयहिंद सर। आपका एक भारतीय फौजी।

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