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बुधवार, 8 मार्च 2017

ये कैसा महिला दिवस ? : एंबुलेंस के अभाव में महिला की लाश कंधे पर, बिहार में भी ‘दाना मांझी’

मुजफ्फरपुर :

आज अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस है। इस मौके पर देश भर में कई कार्यक्रमों के आयोजन किए जा रहे हैं। बिहार में भी महिला दिवस को सरकारी स्तर पर जोर शोर से मनाया जा रहा है लेकिन बिहार के मुजफ्फरपुर की एक घटना सोचने को मजबूर कर देती है। आज हम आपको एक ऐसी महिला की बदनसीबी की कहानी बताने जा रहे हैं जिसको मौत के बाद भी जिल्लत झेलना पड़ा। मृतक श्यामा देवी के शव को घर ले जाने के लिए एक गाड़ी का भी इंतजाम नहीं हो पाया। मुजफ्फरपुर के सदर अस्पताल में दम तोड़ चुकी श्यामा देवी के परिवारवालों ने अस्पताल के अधिकारियों के सामने खूब गुहार लगाया लेकिन एंबुलेंस का इंतजाम नहीं ही हो पाया। और आखिरकार परिवारवाले श्यामा देवी की लाश को कंधे पर लेकर अस्पताल से निकल पड़े।

वो तो भला हो एक ऑटोवाले का जिसको इन लोगों पर दया आ गई और उसने महिला के शव को घर तक पहुंचा दिया। वाकया मंगलवार की रात का है…अब इस घटना ने सरकारी अस्पतालों के तमाम दावों की पोल खोल दी है। शिवपुरी के सुरेश मंडल की पत्नी श्यामा देवी को इलाज के लिए सदर अस्पताल में भर्ती कराया गया था। सदर अस्पताल श्यामा देवी की जान तो नहीं ही बचा पाया लेकिन मौत के बाद डेड बॉडी को घर तक ले जाने के लिए एक अदद सी गाड़ी की व्यवस्था तक नहीं कर पाया। परिवारवालों के मुताबिक शाम के 7 बजे ही श्यामा देवी की मौत हो गई थी। इस गरीब परिवार के पास इतने पैसे नहीं थे कि प्राइवेट गाड़ी का इंतजाम कर सके। परिवार के लोगों ने डॉक्टरों और अस्पताल के प्रबंधकों से एंबुलेंस की व्यवस्था कर देने की मिन्नत की लेकिन ऐसा मुमकिन नहीं हो पाया। थक हारकर मृतका श्यामा देवी के भतीजे की मदद से परिवारवालों ने शव को चादर में लपेटा और उठा कर पैदल ही घर के लिए रवाना हो गए।

पिछले साल अगस्त महीने में ओडिशा के कालाहांडी जिले में एक शख्स को अपनी पत्नी के शव को कंधे पर रखकर 12 किलोमीटर पैदल चलना पड़ा था। दाना मांझी नामके इस शख्स को भी अपनी पत्नी के शव को घर तक ले जाने के लिए अस्पताल वालों ने एंबुलेंस मुहैया कराने से इनकार कर दिया था। अब एक बार फिर इसी तरह का मामला बिहार में देखने को मिला है।

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