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मंगलवार, 7 मई 2019

नवगछिया में ब्राह्मण समुदाय के लोगों द्वारा भगवान परशुराम जयंती धूमधाम से मनाई गई

Gosaingaon Samachar
दुर्गेश कुमार की खबर

हिन्दी नववर्ष के अनुसार वैशाख मास की शुक्ल पक्ष की अक्षय तृतीया के दिन परशुराम जयंती मनाई जाती है। ऋषि परशुराम को भगवान विष्णु का छठा अवतार भी माना जाता हैं। रंगरा प्रखंड के भवानीपुर स्थित मॉडर्न वैभव पब्लिक स्कूल में ब्राह्मण समुदाय के लोगों द्वारा भगवान परशुराम जयंती धूमधाम से मनाई गई। सबसे पहले भगवान परशुराम जी के तैलिय चित्र पर पुष्पाजंलि अर्पित की गई। जयंति पर संबोधित करते हुए प्राचार्य विश्वास झा ने बताया कि
परशुराम जी के जन्म समय को सतयुग और त्रेता का संधिकाल माना जाता है। उन्होंने बताया कि
भगवान परशुराम जी की माता का नाम रेणुका और पिता का नाम जमदग्नि ॠषि था। उन्होंने पिता की आज्ञा पर अपनी मां का वध कर दिया था। जिसके कारण उन्हें मातृ हत्या का पाप लगा, जो भगवान शिव की तपस्या करने के बाद दूर हुआ। भगवान शिव ने उन्हें मृत्युलोक के कल्याणार्थ परशु अस्त्र प्रदान किया, जिसके कारण वे परशुराम कहलाए। निर्देशिका शिखा विश्वास ने बताया कि ब्रह्रावैवर्त पुराण के अनुसार, जब परशुराम जी भगवान शिव के दर्शन करने के लिए कैलाश पर्वत पहुंचे तो भगवान गणेश जी ने उन्हें शिव से मुलाकात करने के लिए रोक दिया। इस बात से गुस्सा होकर उन्होंने अपने फरसे से भगवान गणेश का एक दांत तोड़ दिया था। अभिभावक संरक्षक सुबोध झा ने बताया कि शिवजी परशुराम की पूजा से अधिक प्रसन्न रहते थें। ऐसा माना जाता है कि इन्होंने धरती पर 21 बार क्षत्रियों का संहार किया था। मान्यता है कि इसी दिन से सतयुग की शुरुआत हुई थी। वहीं परशुराम सेना के प्रशांत झा ने बताया कि पुराणों के अनुसार एक युग लाखों वर्षों का होता है। ऐसे में देखें तो भगवान परशुराम ने न सिर्फ श्री राम की लीला बल्कि महाभारत का युद्ध भी देखा। मौके पर प्राचार्य विश्वास झा, निर्देशिका शिखा विश्वास, अभिभावक संरक्षक सुबोध झा, प्रशांत झा, डॉ केशव झा, कुमारी रूपम प्रिया, आर्यन राज, राकेश झा, हिमांशु शेखर झा, सौरभ कुमार, दीपक कुमार,नीरज, पार्वति, अन्नू, रिया, सुधांशु, राजरानी, पंकज, गौरव सहित दर्जनों छात्र-छात्रा उपस्थित हुए।


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