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मंगलवार, 2 अक्तूबर 2018

बाप रे : मात्र 18 वर्ष में दम फुलनें लगा विक्रमशिला सेतु का , पढिये वरीय पत्रकार राकेश कुमार रौशन के अनोखे रचना को


स्वतंत्र विचार..!
(राकेश कुमार रोशन)
भारत देश का 5वां सबसे बड़ा पुल व बिहार का दूसरा सबसे बड़ा पुल विक्रमशिला पुल की स्थिति ऐसी है कि इस पुल का मात्र 18 वर्षों में हीं दम फूलने लगा है.इसके कारण आज क्षेत्र की जनता को पुराने दिनों की याद आ गई जब इस पुल के निर्माण से पहले पैदल आया-जाया करते थे.विक्रमशिला पुल एन एच् 31 व एन एच् 80 को जोड़ती है.इस पुल से लोग एक राज्य से दूसरे राज्य आते जाते हैं.परंतु पुल खराब होने के कारण स्थिति ऐसी है कि लोग गाड़ी से जिला मुख्यालय भी नहीं जा सकते हैं.आखिर इसके जिम्मेदार कौन हैं?क्या इस पुल की डिज़ाइन गलत थी?क्या पुल की नींव गलत थी?क्या पुल को बनाने वाले इंजीनियर गलत थे?या फिर इस पुल के बनने के बाद प्रशासन पैसे लेकर ओवरलोड गाड़ी को आने जाने देते थे?इन सबमें क्या कारण था.ये लोगों के बीच चर्चा का विषय है.आपको बता दूं कि इस पुल की निगरानी का काम बिहार सरकार के जिम्मे था.कुछ माह पूर्व तक बिहार सरकार इस पुल से आने जाने वाले गाड़ियों से टैक्स वसूलती थी.फिर भी इसकी सुरक्षा व्यवस्था राम भरोसे रहा.वहीं ड्यूटी पर तैनात पुलिस कर्मी पैसे लेकर भाड़ी वाहनों को ओवरलोड निकालती थी.जिसकी कई बार खबर प्रशासन व आम जनता तक गई थी.कई बार दोषियों पर करवाई भी हुई,परंतु स्थिति वैसी ही रह गई.आपको बता दूं कि मरम्मत कर रहे इंजीनियर का कहना है कि मरम्मत के बाद अगर ओवरलोड गाड़ी चलेगी तो पुल को ज्यादा नुकसान होगा.अभी मरम्मत होने से पुल की 20 साल आयु बढ़ जाएगी.
आपको बता दूं कि इस पुल से लोग जिला मुख्यालय, अस्पताल ,विश्वविद्यालय, व्यापार करने जाते थे.आज स्थिति ऐसी हो चुकी है कि पुल का दम घुटने लगा है.हालांकि पुल ठीक किया जा रहा है.कार्य तेजी से चल रहा है.परंतु अभी पुल बंद होने से व्यपारियों को करोड़ों का नुकसान सहना पड़ रहा है.कई लोगों का कहना है कि पुल को छठ पर्व के बाद बंद करना चाहिए था.ताकि त्योहार में लोगों व व्यपारियों को दिक्कत नहीं आती.छठ पर्व तक छोटी गाड़ियों का आवागमन शुरू रहने देना चाहिए था.परंतु पुल की स्थिति को देखते हुए सभी गाड़ियों को अभी से बंद करना पड़ा.ये बंद वर्तमान में 17 अक्टूबर तक है.परंतु आगे क्या होगा ये आने वाला समय बताएगा.वहीं आपको बता दूं कि भारतीय इंजीनियर ने इस पुल का निर्माण किया था.जिसकी 18 वर्षों में हीं साँस थमने लगी.वहीं इसी जिले के कहलगाँव रेलवे स्टेशन के पास अंग्रेजों के द्वारा बनाये गए पुल को डायनामाइट से तोड़ना पड़ा....!


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