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मंगलवार, 8 जनवरी 2019

OMG : इको फ्रेंडली नहीं रहा भागलपुर का वातावरण, प्रदूषण का हाल दिल्ली जैसा


संभलें : इको फ्रेंडली नहीं रहा वातावरण, प्रदूषण का हाल दिल्ली जैसा

भागलपुर का मौसम खराब होती जा रही है। वातावरण इतनी प्रदूषित हो रहा है कि अब बिना मास्क के जीवन जीना दूभर है। अस्पतालों में रोजाना मरीजों की संख्या बढ़ती जा रही है। दमा, टीबी आदि के ज्यादा मरीज अस्पतालों में भर्ती हो रहे हैं। सांस की बीमारी से ग्रस्त मरीजों की जान पर बन आई है। दिल्ली में छाई धुंध ने प्रदूषण की समस्या को नए सिरे से देखने की जरूरत को रेखांकित किया है। सड़क मार्ग से यात्रा भी बेहद मुश्किल हो गई है। धुंध में सफर जानलेवा साबित हो रहा है। विशेषज्ञों का मानना है कि अगर समय पर उपाय नहीं किए गए तो भागलपुर में भी दिल्ली जैसी स्थिति बनने में देर नहीं लगेगी।

सेंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड के अनुसार देश भर में सबसे ज्यादा प्रदूषित टॉप फाइव शहरों में पटना और मुजफ्फरपुर शामिल हैं। इस डाटा से भागलपुर भी अछूता नहीं है। भागलपुर में प्रदूषण स्तर दिनोंदन बढ़ता जा रहा है। यह अब इस स्तर पर जा पहुंचा है कि लोग बीमार हो रहे हैं। बिना मास्क के लोगों को निकलना दूभर हो गया है। ताजा आंकड़े यही कह रहे हैं।

सांस लेने लायक नहीं है हवा

भागलपुर में सांस लेने लायक हवा नहीं है। वायु गुणवत्ता 62.50 पीएम पर पहुंच चुका है। जीवन के लिए जरूरी पेयजल की भी स्थिति खतरनाक ही है। पेयजल की गुणवत्ता 66.67 पर पहुंच चुकी है, जबकि यह 30 के नीचे होनी चाहिए। भागलपुर के चारों ओर पुआल जलने के कारण भी वायु प्रदूषण एक कारण बन रहा है। गांवों में आज भी लोग गैस के चुल्हे के बजाय लकड़ी व पत्ते का प्रयोग कर रहे हैं। भागलपुर शहर नॉर्थ ईस्ट के राज्यों को जोड़ता है, लाखों वाहनों का आवागमन का मुख्य मार्ग होने के कारण सड़कों पर धूल व धुआं वातावरण में शामिल हो जाता है। इससे आम लोग सबसे ज्यादा परेशान हैं। घरों से लोग नहीं निकल पाते हैं। नगर निगम का कचरा जलाने और जर्जर गाडिय़ों के परिचालन के कारण स्थिति दिनोंदिन गंभीर होती जा रही है।

इको फ्रेंडली नहीं रहा वातावरण

भागलपुर स्थित तिलकामांझी विश्वविद्यालय के भूगोल विभाग के पूर्व विभागाध्यक्ष प्रो. एसएन पांडेय का कहना है कि अब भागलपुर की आबोहवा इको फ्रेंडली नहीं रही। एक जमाना था जब यहां के स्वच्छ वातावरण के कारण लोग यहां छुट्टियां मनाने आया करते थे। लेकिन वर्तमान में प्रदूषण इतना बढ़ चुका है कि लोग बीमार हो रहे हैं। लोगों को गंभीर बीमारियां होती जा रही हैं।

इसरो ने कराया है रिसर्च

वनस्पति से कार्बन के आकलन के लिए इसरो ने बिहार-झारखंड में तिलकामांझी विश्वविद्यालय का चयन किया था। विवि द्वारा भेजी रिपोर्ट कहा गया है कि भागलपुर में वातावरण इको फ्रेंडली थी, लेकिन अब ऐसा नहीं होता दिख रहा है। प्रदूषण दिनोंदिन बढ़ता ही जा रहा है, जो खतरनाक स्थिति में पहुंच चुका है। यह अध्ययन भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान केंद्र के अंतर्गत इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ रिमोट सेंसिंग की ओर से भारत में नेशनल कार्बन प्रोजेक्ट प्रोग्राम के तहत कराया गया है।

वायु प्रदूषण से कैंसर का खतरा

वायु प्रदूषण के कारण बच्चों से लेकर वयस्क तक कई बीमारियों से ग्रसित हो रहे हैं। लगातार वायु प्रदूषण की चपेट में आने पर बच्चों में मानसिक विकार हो सकता है। इसके अलावा फेफड़ा का कैंसर होने की भी संभावना रहती है। नाक-कान-गला विशेषज्ञ डॉ. एचआइ फारुख के मुताबिक वायु प्रदूषण में कार्बन डायऑक्साइड और सल्फर ऑक्साइड स्वास्थ्य के लिए बेहद खतरनाक है। धूल से जिस व्यक्ति या बच्चों को एलर्जी है, उन्हें आए दिन सर्दी-खांसी होने की संभावना बनी रहती है। सांस लेने में परेशानी और लगातार प्रदूषण की चपेट में आने पर बच्चों में मानसिक विकार उत्पन्न हो जाता है। धूल से एलर्जी होने पर गले में खरास के अलावा लगातार छींक आने लगती है। नाक से पानी गिरने लगता है। जेएलएनएमसीएच मेडिसीन विभाग के सहायक प्राध्यापक डॉ. ओवेद अली ने कहा कि वायु प्रदूषण से फेफड़ा का कैंसर के अलावा अस्थमा होने की संभावना बढ़ जाती है। वाहनों से निकलते धुंआ वायु प्रदूषण को और भी खतरनाक बना देता है। पर्यावरणविद डॉ. केडी प्रभात ने कहा कि वायु प्रदूषण की वजह से ही कोहरा गहरा होता है। इससे सांस लेने में परेशानी होने लगती है।

बचाव के उपाय

मास्क लगाकर घर से निकलें, पोलिथीन नहीं जलाएं, प्रदूषण के प्रति लोगों को जागरूक करें, पेड़ लगाएं, काटे नहीं। क्योंकि पेड़ कार्बन डायऑक्साइड ग्रहण करता है और ऑक्सीजन छोड़ता है, वाहनों से निकले वाले प्रदूषण की जांच कराते रहे,


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