नवगछिया अनुमंडल में लॉक डाउन के कारण पहले से किसान परेशान थे बुधवार की सुबह तेज आंधी एवं बारिश ने किसानों को पेट के बल खड़ा कर दिया है. तेज अंधी एवं बारिश के कारण जहां किसानों मकई, आम एवं लीची की फसल को व्यापक क्षति हुई है. सबसे ज्यादा मक्के की फसल का नुकसान हुआ है. पिछले वर्ष मक्का का मूल्य 24 सौ रुपये प्रति क्विंटल हो जाने के कारण इस वर्ष किसान मक्के की फसल को लेकर काफी उत्साहित है और इलाके के 90 फ़ीसदी किसानों ने रबी फसल के रूप में मक्के की बुवाई की थी. मक्के की फसल को तैयार होने में अभी कम से कम एक माह लगता. अधिकांश मक्के के खेतों में अभी भुट्टा पूरी तरह से परिपक्व भी नहीं हुआ था. गोपालपुर के धरहरा निवासी किसान सह भाजपा किसान मोर्चा के राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य सुबोध कुमार सिंह कुशवाहा ने बताया कि सुबह बारिश समाप्त होने के बाद जब वह अपने खेत गए हैं तो उनकी आंखें फटी रह गई क्योंकि मक्के की फसल धरती पर बिछी हुई थी. उन्होंने कुल ग्यारह एकड़ में मक्के की खेती की है. अब मुश्किल से चार से पांच कट्ठा खेत में ही फसल बची है. स्थानीय प्रशासन को क्षति का जायजा लेकर मुआवजे के लिये पहल करना चाहिये. भाजपा नेता पूर्व सांसद अनिल यादव ने कहा कि यह किसानों के लिए बड़ी क्षति है उन्होंने संबंधित विभाग के पदाधिकारियों को जल्द से जल्द आकलन कर मुआवजा राशि घोषित करने की मांग की है. भाजपा के जिला महामंत्री आलोक कुमार सिंह, उपाध्यक्ष अधिवक्ता अजीत कुमार सिंह, गुलाबी सिंह ने भी सरकार से क्षति का जल्द से जल्द आकलन कर मुआवजा देने की मांग की है. दूसरी तरफ केला आम लीची की फसल को भी व्यापक रूप से नुकसान पहुंचा है.
कई लोगों के घरों की झोपड़ियां उड़ गई
तेज आंधी के कारण लोगों के घरों को झोपड़ी के छप्पर उड़ गए हैं. एक तरफ जहां लोकडॉन रहने के कारण लोगों के रोजमजदूरी का कार्य पूरी तरह बाधित है तो दूसरी तरफ तेज आंधी में गरीब मजदूर के घरों के छप्पर उर जाने से लोग बेघर हो गए हैं. एक तो लोकडॉन की मार एवं दूसरा तेज आंधी व बारिश का कहर गरीब मजदूर एवं किसानों को पूरी तरह से झकझोर दिया है. नवगछिया, इस्माईलपुर एवं कदवा दियरा में लगी मक्के की फसल को व्यापक क्षति पहुची है. किसानों फसल तेज आंधी में गिर जाने से किसान अपनी किस्मत पर आंसू बहा रहे हैं। जबकि लोगों की झोपड़ी के छप्पर उड़ जाने से गरीब मजदूर बेहाल हैं. लोगों का कहना है कि पिछले एक माह से घर मे बैठे हुए हैं. घर मे खाने के लाले पड़े हैं इसमें छप्पर के उड़ जाने से हमलोगों पर कहर बरपा है. आंधी के बाद लोग अपने घर की उड़े छप्पर को किसी तरह से तत्काल ठीक कर रहने योग्य बनाया.
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