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गुरुवार, 25 जून 2020

सुल्तानगंज:- कोरोना मरीज की संख्या में हो रही है इजाफा GS NEWS


सुल्तानगंज में दिनोंदिन कोरोना मरीजों की संख्या में इजाफा हो रहा है । स्वास्थ्य प्रबंधक चंदन कुमार ने बताया कि मंगलवार को 61 लोगों के भेजे गए सैंपल में एक 40 वर्षीय व्यक्ति की गुरुवार को रिपोर्ट पॉजिटिव आयी है ।

 कहते है कि उक्त व्यक्ति नयागांव पंचायत में शिक्षक के पद पर कार्यरत है । उनका प्रतिनियोजन प्रखंड में निर्वाचन कार्यालय में किया गया था ।

 इनका आना - जाना भागलपुर के सिंकदरपुर से होता था । इधर रेफरल अस्पताल में 31 लोगों का सैंपल लिया गया । 

इसमें कॉन्टेक्ट के साथ - साथ रैंडम सैंपलिंग शामिल है । उधर प्रखंड सह अंचल कार्यालय सील रहने से लोगों की आवाजाही बंद रही । अपने कार्य से आए लोग निराश लौटते रहे ।

रविवार, 21 जून 2020

बाबा भोलेनाथ के द्वार तक जाने वाली विश्व प्रसिद्ध कांवर यात्रा स्थगित, टूट गयी वर्षों की परंपरा GS NEWS

विश्व प्रसिद्ध श्रावणी मेला अगर इस वर्ष नहीं लगता है तो यह पहला अवसर होगा, जब 105 किलोमीटर की कांवर यात्रा स्थगित रहेगी। बुज़ुर्गों ने बताया कि अपने जीवनकाल में कांवर यात्रा कभी स्थगित होते नहीं देखा है। हालांकि इस मेले का कोई प्रामाणिक इतिहास नहीं मिल पा रहा है। लेकिन मान्यता है कि मेले की शुरुआत त्रेतायुग से है। इस वर्ष सावन छह जुलाई से शुरू होना है। लेकिन अब तक मेले को लेकर कोई बैठक या फिर तैयारी शुरू नहीं हो पायी है। 
पंडित संजीव झा कहते हैं कि जब से कांवर यात्रा प्रारंभ हुई है, तबसे अनवरत जारी है। सावन भोलेनाथ की पूजा का विशेष मास होता है। रावण द्वारा पहला जलाभिषेक देवघर में किए जाने के बाद उसका नाम रावणेशवर बैद्यनाथ पड़ा। रावण वध के बाद भगवान श्रीराम भी यहां से गंगाजल लेकर बैद्यनाथ धाम में जलाभिषेक करने गये थे। तब से कांवर यात्रा की परंपरा शुरू मानी जाती है। 
कहते है अजगैबीनाथ मंदिर के स्थानापति महंत 
अजगैबीनाथ मंदिर के स्थानापति महंत प्रेमानंद गिरि कहते हैं कि भक्तों के पूजा-दर्शन के लिए मंदिर का पट खुला हुआ है। श्रावणी मेला के दौरान जिला प्रशासन या फिर सरकार से जैसा निर्देश मिलेगा, उसका पालन किया जाएगा। फिलहाल मंदिर में भक्त आकर पूजा-अर्चना कर रहे हैं।

बासुकीनाथ धाम की नहीं हो सकेगी कांवर यात्रा 
कोरोना संकट को लेकर पड़ाव संघ की 109 साल से चली आ रही कहलगांव से बासुकीनाथ धाम की कांवर यात्रा पर इस साल ग्रहण लगने के आसार हैं। सोशल डिस्टेन्सिंग को लेकर सरकार द्वारा लिये निर्णय के बाद संघ द्वारा भी कांवर यात्रा की तैयारी नहीं की जा रही है।
पड़ाव संघ कहलगांव के अध्यक्ष संतोष चौधरी ने बताया कि जल्द ही संघ के सदस्यों की बैठक बुलाई जाएगी।



इसमें वैकल्पिक गतिविधि पर निर्णय लिया जायेगा। बताया कि ऐसा पहली बार होगा, जब पड़ाव संघ की कांवर यात्रा बासुकीनाथधाम के लिये नहीं जा सकेगी। इस कारण लोग बाबा का जलार्पण करने से वंचित रह जाएंगे। मालूम हो कि बासुकीनाथ धाम की कांवर यात्रा में अमूमन हर साल दो से तीन हजार कांवारिये शामिल होते थे, 



जो कहलगांव के उत्तरवाहिनी गंगा से जल भरकर बासुकीनाथ धाम के लिये करीब 120 किलोमीटर की पैदल यात्रा में शामिल होते थे। इसके लिये महीनों पहले से संघ द्वारा तैयारी की जाती थी तथा संघ द्वारा कांवरियों की सुख-सुविधा के लिये खास तैयारी की जाती थी। 
ब्रजलेश्वरधाम में जल नहीं चढ़ा पाएंगे कांवरिया
बिहपुर स्थित बाबा ब्रजलेश्वरनाथ धाम, मड़वा में छह जुलाई से शुरू हो रहे सावन माह में कांवरिया महादेव को जल अर्पित नहीं कर पाएंगे। कोरोना महामारी को लेकर कांवर यात्रा पर रोक लगाने का निर्णय लिया गया है। बता दें कि ब्रजलेश्वर धाम में आठ- 10 जिले से शिवभक्त जलार्पण करने पहुचते हैं। 


मंदिर ट्रस्ट कमेटी के अध्यक्ष सुनील चौधरी, सचिव दिलीप गुप्ता एवं कोषाध्यक्ष मनोरंजन राय ने बताया कि सावन में बाबा को जल अर्पण के लिए जो सरकारी गाइडलाइन जारी होगी, उसी के अनुसार पूजा करायी जाएगी। पूजा के दौरान सोशल डिस्टेंसिंग का पालन किया जाएगा। कांवरिया कांवर लेकर यात्रा नहीं कर पाएंगे। 30-40 वर्षों में पहली बार ऐसा होगा जब कांवर लेकर कांवरिया जलार्पण नहीं कर पाएंगे। बाबा ब्रजलेश्वर धाम का इतिहास करीब चार सौ वर्ष पुराना है। इन्हें बड़का बाबा भी कहा जाता है।