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मंगलवार, 30 मई 2017

बिहार इंटर में 70% बच्चे फेल तो इसके कौन जिम्मेवार ..??? पढ़िए ऐसी खबर ।

GS:
मंगलवार को इंटर की परीक्षा के तीनों संकाय के परिणाम जारी हो गए जिसमें 70% बच्चे फेल हो गए ।

आइये  पढ़िए  उनकी जुबानी जिससे हम स्वंग सोचे की गलती किसकी  , जिम्मेवार कौन .?

कल जैसे ही बिहार इन्टरमिडिएट के परिणाम कि घोषणा हुई पूरा देश अवाक रह गया। लोगों के दोषारोपन का दौर शुरू हुआ सबसे पहले सरकारी विधालय के शिक्षक एवं काँपी मुल्यांकन कि व्यवस्था को जिम्मेदार ठहराने लगे। दिल पर हाथ रख कर सोचिए क्या खराब रिजल्ट का यही कारण है? हम अपने आस पडोस मे देखते है कि इन्टर का छात्र नमांकित जरूर किसी संस्थान से होता है लेकिन वह ट्यूशन किसी निजि शिक्षक से लेते है जो इस बात कि तसल्ली अभिभावक को दिलाने मे सफल होते है कि सरकारी व्यवस्था के भँवर जाल से बचाने के लिए हम है खेवनहार। यह तसल्ली अभिभावक के जेब ढिली करने को विवश कर देती है। क्या सवाल एसे शिक्षा माफिया से नही पूछा जाना चाहिए जो सपने बेचकर अपनी तिजौरी भरते है? सवाल निजि शिक्षक पर बनता है। लालकेश्रर और बच्चा राय जैसे लोगों ने बिहार शिक्षा व्यवस्था को दीमक कि तरह खोखला कर दिया है। मै बिहार इन्टरमिडिएट के परिणाम बदलते शिक्षा व्यवस्था कि नीव साबित होगी इस रूप मे देख रहा हुँ। सरकार यहाँ प्रशंसा के पात्र है जिन्होने परिणाम कि लीपापोती करने के बजाय सच का सामना करना ही बेहतर समझा। सरकार ने छात्रों के बीच यह संदेश दे दिया है कि शिक्षा माफिया के सहारे डिग्री हासिल करना सूर्य से नजरें मिलाने जैसा हो गया है अब पढना होगा। मै आशा करता हुँ आगे बेहतर परिणाम देखने को मिलेन्गे। मै व्यक्तिगत तौर पर सरकार के एसे स्वस्थ प्रयास कि प्रशंसा करता
हूँ ।

अभिभावक को चाहिए कि वो तथाकथित गुरू द्रोण ( शिक्षा माफिया)से बचकर बच्चों के सबसे बहुमुल्य समय जब वह मैट्रिक के बाद माता -पिता के बंधन से मुक्त होकर घर से बाहर शहरों कि तरफ पढने जाते है । जहाँ वह पहली बार अपनी बनियान माँ पापा नही वो खुद से खरीदतता है और सोचता है मै अब आजाद हुँ इस गगन मे उडने के लिए यौवन कि मादकता उसे मुख्य उदेश्य से भटका देती है । निजि शिक्षा माफिया इसी का फायदा उठा कर बच्चों के भविष्य के साथ खेल जाते है जहाँ उसका उदेश्य शैक्षणिक स्तर को बढाना नही होता है खुद के आर्थिक स्तर को बढाना होता है। अभिभावक से विनम्र निवेदन है कि एसे माफिया से बचिए व बच्चों के बहकने कि उम्र इन्टरमिडिएट तक ही होती है उसके बाद उसे अपने अच्छे बुरे का फैसला लेने मे सक्षम होता है तब तक अपने देखरेख मे पढने का अवसर प्रदान करें किसी माफिया के भरोसे अपने बच्चे का भविष्य दाँव पर न लगाए।

सत्यम शांडिल्य
तेलघी , नवगछिया