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शुक्रवार, 12 अक्टूबर 2018

पसराहा में अपराधियों के साथ मुठभेड़ में थाना प्रभारी शहीद, एक जवान जख्मी

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पसराहा में अपराधियों के साथ मुठभेड़ में थाना प्रभारी शहीद, एक जवान जख्मी


बिहार के खगड़िया जिला अंतर्गत पसराहा में कुख्यात अपराधी दिनेश मुनि गैंग के साथ हुए मुठभेड़ में पसराहा थाना प्रभारी आशीष कुमार सिंह की गोली लगने से मौत हो गई है. इस घटना में गोली लगने से एक सिपाही भी घायल हो गया है जिसे इलाज के लिए भागलपुर भेज दिया गया है.


नवरात्रि स्पेशल पोस्ट (4/11) : माता की भक्ति से सराबोर आज चौथे , माँ के कुष्मांडा रूप के चरणों में श्रद्धा सुमन अर्पित करनें चलतें हैं रंगरा गाँव

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नवरात्रि स्पेशल पोस्ट (4/11) :  माता की भक्ति से लगातार सराबोर आज चौथे दिन , माँ के कुष्मांडा रूप के चरणों में श्रद्धा सुमन अर्पित करनें चलतें हैं रंगरा गाँव ।
NH31 रंगरा चौक से 3 किलोमीटर दक्षिण रंगरा गाँव के विषहरी स्थान के परिसर में माँ जगत जननी का दरबार हैं । जिसका सन 1982 में अनुरूद्ध ठाकुर व ग्रामीणों के सहयोग से मंदिर का निर्माण हुआ था ।  इस मंदिर में राजसी विधि विधान व वैदिक रूप से पूजा अर्चना की जाती है । यहाँ स्थापित मैया की छवि बहुत ही शक्तिशाली हैं । प्राथनाएं  मैया बहुत ही कम समय में सुनती हैं । जो भी भक्त  श्रद्धा भक्ति से मैया के इस दरबार में मन्नत माँगता हैं उसकी मनोकामना अवश्य पूरी होती हैं । मनोकामना पूर्ण होनें पर प्रत्येक वर्ष दुर्गा पूजा के नवमी व दशमी पूजा को भक्तों द्वारा  सैकड़ों छागर की बलि दी जाती हैं ।
साथ ही नवमी व  दशमी के रात में भक्ति जागरण भी होता है ।
मंदिर पूजा समिति के अध्यक्ष गौतम प्रसाद सिंह ने कहा की यहाँ  माता पूजा वैदिक धर्म के अनुसार किया जाता है ।  मंदिर में माँ के प्रतिमा का विसर्जन शोभा यात्रा के साथ एकादशी के सुबह सूर्योदय के पहले ही किया जाता है ।  मंदिर में पठैत की भीड़ लगी रहती हैं ।
मंदिर के पंडित शंभूनाथ के  द्वारा वैदिक मंगलाचरण के द्वारा पाठ किया जाता है ।
रचना : बरुण बाबुल


नवरात्रि में कुछ इस तरह जमाये कन्या व साथ में बटुक, पढ़े पूरी विधि।

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नवरात्र में कन्‍या को नवमी तिथि दिन इन कन्याओं को नौ देवी का रूप मानकर इनका स्वागत किया जाता है । माना जाता है कि कन्याओं का देवियों की तरह आदर सत्कार और भोज कराने से मां दुर्गा प्रसन्न होती हैं और अपने भक्तों को सुख समृधि का वरदान देती हैं।


नवरात्र पर्व के दौरान कन्या पूजन का बड़ा महत्व है. नौ कन्याओं को नौ देवियों के प्रतिबिंब के रूप में पूजने के बाद ही भक्त का नवरात्र व्रत पूरा होता है. अपने सामर्थ्य के अनुसार उन्हें भोग लगाकर दक्षिणा देने मात्र से ही मां दुर्गा प्रसन्न हो जाती है।

*कन्या पूजन की विधि*
- कन्‍या भोज और पूजन के लिए कन्‍याओं को एक दिन पहले ही आमंत्रित कर दिया जाता है।
- मुख्य कन्या पूजन के दिन इधर-उधर से कन्याओं को पकड़ के लाना सही नहीं होता है।
- गृह प्रवेश पर कन्याओं का पूरे परिवार के साथ पुष्प वर्षा से स्वागत करें और नव दुर्गा के सभी नौ नामों के जयकारे लगाएं।
- अब इन कन्याओं को आरामदायक और स्वच्छ जगह बिठाकर सभी के पैरों को दूध से भरे थाल या थाली में रखकर अपने हाथों से उनके पैर धोने चाहिए और पैर छूकर आशीष लेना चाहिए।
- उसके बाद माथे पर अक्षत, फूल और कुंकुम लगाना चाहिए।
- फिर मां भगवती का ध्यान करके इन देवी रूपी कन्याओं को इच्छा अनुसार भोजन कराएं.
- भोजन के बाद कन्याओं को अपने सामर्थ्‍य के अनुसार दक्षिणा, उपहार दें और उनके पुनः पैर छूकर आशीष लें।

*कन्या पूजन में कितनी हो कन्याओं की उम्र?*
कन्याओं की आयु दो वर्ष से ऊपर तथा 10 वर्ष तक होनी चाहिए और इनकी संख्या कम से कम 9 तो होनी ही चाहिए और एक बालक भी होना चाहिए जिसे हनुमानजी का रूप माना जाता है.  जिस प्रकार मां की पूजा भैरव के बिना पूर्ण नहीं होती , उसी तरह कन्या-पूजन के समय एक बालक को भी भोजन कराना बहुत जरूरी होता है. यदि 9 से ज्यादा कन्या भोज पर आ रही है तो कोई आपत्ति नहीं है.

आयु अनुसार कन्या रूप का पूजन
- नवरात्र में सभी तिथियों को एक-एक और अष्टमी या नवमी को नौ कन्याओं की पूजा होती है.
- दो वर्ष की कन्या (कुमारी) के पूजन से दुख और दरिद्रता मां दूर करती हैं. तीन वर्ष की कन्या त्रिमूर्ति रूप में मानी जाती है. त्रिमूर्ति कन्या के पूजन से धन-धान्‍य आता है और परिवार में सुख-समृद्धि आती है.
- चार वर्ष की कन्या को कल्याणी माना जाता है. इसकी पूजा से परिवार का कल्याण होता है. जबकि पांच वर्ष की कन्या रोहिणी कहलाती है. रोहिणी को पूजने से व्यक्ति रोगमुक्त हो जाता है.
- छह वर्ष की कन्या को कालिका रूप कहा गया है. कालिका रूप से विद्या, विजय, राजयोग की प्राप्ति होती है. सात वर्ष की कन्या का रूप चंडिका का है. चंडिका रूप का पूजन करने से ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है.
- आठ वर्ष की कन्या शाम्‍भवी कहलाती है. इसका पूजन करने से वाद-विवाद में विजय प्राप्त होती है. नौ वर्ष की कन्या दुर्गा कहलाती है. इसका पूजन करने से शत्रुओं का नाश होता है तथा असाध्य कार्यपूर्ण होते हैं.
- दस वर्ष की कन्या सुभद्रा कहलाती है. सुभद्रा अपने भक्तों के सारे मनोरथ पूर्ण करती है.

डॉ रजनीकांत देव ,नौगछिया


गुरुवार, 11 अक्टूबर 2018

नवगछिया बाजार दुर्गा पूजा विशेष  : अभी धंधा शुरू भी नहीं हुए की फिरनें लगे मंसूबे पर पानी

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नवगछिया में व्यवसायियों के चेहरे पर आई उदासी , ग्राहक के इंतजार में दिन भर बैठे रहें दुकानदार , 10% भी नहीं हुई बिक्री


भागलपुर विक्रमशिला सेतु बंद होने के कारण जिस तरह से दुर्गा पूजा की शुरुआती के साथ लगभग नवगछिया के व्यापारियों ने अपने दुकान और गोदाम में सामान भर भर लिया है और उन्हें यह उम्मीद है कि लगभग 10 से 15 साल से लगातार आ रही मंदी का इस बार यह काला बादल मिट जाएगा और रौनकता आ  जाएगी लेकिन उसके बिल्कुल विपरीत आज दूसरी पूजा के ही दिन बाजार शुरुआत होने से साथ ही मौसम ने पूरी तरह से फीका कर दिया लगभग व्यवसाई यूं ही बैठे रहे लगभग दुकानों में 2 से 5% सामानों की बिक्री हुई ।

कई दुकानदारों ने बताया कि कि उन्होंने इस बार दुर्गा पूजा में काफी कलेक्शन लाया है खासकर रेडीमेड के दुकानों में भागलपुर पुल बंद होने के कारण उन्हें ऐसा उम्मीद हैं कि भागलपुर जाने वाले ग्राहक भी नवगछिया ही आएंगे जिससे कि उनकी काफी बिक्री बढ़ेगी अभी माल आया ही है और सबों को दुकान में लगाया गया है लेकिन कई आइटम की एक भी पीस से शुरुआत नहीं हुई पूरे दिन झमाझम बारिश के कारण पूरी तरह से बाजार अस्त-व्यस्त रहा कई दुकानदारों की कुछ भी बिक्री नहीं हुई ।


ध्यान दें की बाजार में अभी व्यवसायियों के बीच खासकर कपड़े को लेकर काफी अधिक संख्या में और काफी अधिक पूंजी फंसा कर माल मंगाया गया है और ऐसा उम्मीद है कि इस बार काफी रौनक आएगी लेकिन उस शुरुआती बारिश ने ही सभी दुकानदारों का मूड खराब कर दिया है और आज  दूसरी पूजा से ही मौसम के चलते दुकानदारी पूरी तरह ठप हो गई है ।

नवरात्रि विशेष : दूसरे दिन कीजिये दर्शन , माँ दुर्गा के एक अनुपम रूप का , पचगछिया बाजार दुर्गा मंदिर से


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नवरात्रि विशेष पोस्ट (2/11) :
दूसरे दिन कीजिये दर्शन , माँ दुर्गा के एक अनुपम रूपी दरबार का ।

आज दूसरी पूजा माँ ब्रह्मचारिणी के पूजनोत्सव  पर दर्शन करनें चलते हैं  नवगछिया अनुमंडल के गोपालपुर प्रखंड के पचगछिया पंचायत के ही पचगछिया गाँव में स्थापित माँ दुर्गा मंदिर का ।

जहाँ अभी मैया की आज का पूजन प्रारंभ हैं । दरबार में  भक्त की मंडली द्वारा दुर्गा सप्तसी का पाठ जारी हैं । प्रतिमा बनकर तैयार ,  सप्तमी को मैया की प्रतिमा पिंडी पर विराजमान होंगीं ।

पूजन करने आई कई महिला भक्तों ने बताया कि मैया कृपा की बहुत ही धनी हैं । हर छण हर पल , गाँव के कण - कण में मैया विराजमान हैं ।

हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी मैया का दरबार सजावट व रंगीन लाइट से चकाचोंध कर इस उत्सव को पूरे ग्रामीण बहुत ही उल्लास से मनाते हैं ।

परंपरा गत चलती आ रहीं बलि प्रथा यहाँ बंद हैं । बस बलि वाले चढ़ावा को चढ़ाकर भक्त छागर को अपनें साथ ही लेते जाते हैं ।

बाजार क्षेत्र होनें के कारण हमेशा ही भीड़ लगी होती हैं । मगर दुर्गा पूजा में पूरे क्षेत्र का माहौल भक्तिमय हो जाता हैं ।

रचना
बरुण बाबुल

बुधवार, 10 अक्टूबर 2018

नवरात्री स्पेशल पोस्ट : आज कलश स्थापना माँ शैलपुत्री की पूजा और आपको दर्शन करवाते हैं मैया के एक अनोखें मंदिर का ।


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नवरात्री स्पेशल :
आज कलश स्थापना माँ शैलपुत्री की पूजा और आपको दर्शन करवाते हैं मैया के एक अनोखें मंदिर का ।

माँ भगवती का मंदिर जहाँ होती हैं सिर्फ श्रद्धा की पूजा ,ना ही मिटटी की प्रतिमा स्थापित होती हैं , ना आजा- बाजा , ना ढोल नगाड़े , ना ही कलश स्थापित और ना ही बलि प्रथा।
सिर्फ जयंती और पाठ ।

नवगछिया  मकंदपुर चौक से महज़ 10 किलोमीटर दक्षिण गोपालपुर - सैदपुर रोड में नवटोलिया एक गाँव हैं जो डुमरिया - चपरघट पंचायत में आता हैं । गाँव के चौक से मात्र 40 क़दम की दुरी पर स्थित माँ भगवती का मंदिर , जिसे गाँव के लोग भगवती थान बोलतें हैं । जहाँ सज्जा के बिना सिर्फ श्रद्धाभक्ति  से ही पूजा होती हैं । माँ दुर्गा के सभी बहन एक ही पिंडी पर स्थापित हैं । जिनमें  माँ दुर्गा , माँ काली , माँ शीतला , माँ विषहरी , माँ लक्ष्मी ,माँ सरस्वती , माँ संतोषी एक साथ विराजमान हैं ।

मंदिर से महज 10 कदम की दुरी पर मंदिर के व्यवस्थापक शिक्षक विजय झा का घर हैं । जिनके पूर्वज के द्वारा मंदिर हेतु भूमि दान में सन 1862 ईo में मंदिर का निर्माण हुआ । मंदिर निर्माण में स्वर्गo जगदीश झा , स्वर्ग० जनार्दन झा व ग्रामीणों ने अपनें सहयोग से मंदिर का निर्माण करवाया ।
सन 2004 में मंदिर का नए रूप से जीणोंधार हुआ ।

अब हर दुर्गा पूजा में गाँव के लोगों की भीड़ लगी होती हैं । मनोकामना पूर्ण होने पर लोग मैया के सभी रूपों को एक साथ दर्शन करनें जरूर पहुंचतें हैं ।

रचना :
बरुण बाबुल

मन मोहक गिफ्ट और सजावट का सामान अगर हैं लेना तो मिनिमार्ट नवगछिया ही हैं जाना



जी हां नवगछिया में एक ऐसा भी दुकान है जो आपके लिए एक से बढ़कर एक खूबसूरत और सस्ते किफायती और और फैंसी गिफ्ट कलेक्शन आपका इंतजार कर रहा है नवगछिया के गोपाल गौशाला के पास आदर्श स्कूल के पास स्थित मिनीमार्ट की दुकान में आपको ₹50 से लेकर 500 ₹1000 तक की एक से बढ़कर एक खूबसूरत गिफ्ट हैंपर और तोहफा मिल सकता है कुछ ऐसी ऐसी भी आपको सजावट की सामान नजर आएगी जो आपने पहले कभी देखा नहीं हो इसलिए देरी ना करें एक से बढ़कर एक गिफ्ट सिंगार का सामान के लिए मिनी मार्ट गौशाला रोड नवगछिया जरूर पधारें इस दुकान की विशेषता है कि इनके पास कुछ ऐसी कलेक्शन है जो खासकर मुंबई और दिल्ली में मिलती है ।

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अब आपके शहर नवगछिया में पाएं आकर्षक गिफ्ट आइटम, घर सजावट सामग्री एवं महिलाओं के लिए श्रृंगार सामग्री।
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नवरात्रि विशेष : प्रथम पूजा 10 अक्टूबर पर जाने ऐसे मंदिर की कहानी जहां घी का दीया माता की शक्ति का बयां कर रहा हैं


भागलपुर जिला के उत्तरी छोर पर पुलिस जिला नवगछिया से करीब 8 किलोमीटर पूरब दो प्रखंडों नवगछिया और गोपालपुर को जोड़ने वाली मुख्य सड़क के किनारे बसा है पचगछिया गांव ।

 गंगा और कोसी नदी के मध्य बसा इस गांव की आबादी लगभग 5000 की है यहां सभी देवी देवताओं के अलग-अलग मंदिर की स्थापना से ऐसा प्रतीत होता है कि प्राचीन काल से पूर्वजों में धर्म के प्रति अधिक आस्था रही होगी यूं तो यहां कई देवी-देवताओं के मंदिर है परंतु उनमें मां दुर्गा की विजय वाहिनी स्वरूप वाले अनोखे मंदिर अपने आप में विशेष महत्व रखता है इस गांव में प्रतिवर्ष दशहरा पूजा के अवसर पर बंगाल के कुशल कारीगरों द्वारा मिट्टी की प्रतिमा भी बनाई जाती है और धूमधाम से मेले का आयोजन किया जाता है लेकिन इस अनूठे मंदिर देवी दुर्गा की संगमरमर की बनी छोटी प्रतिमा की स्थापना सन 1955 में इस गांव के ही जमींदार युधिष्ठिर प्रसाद सिंह एवं तिलकधारी सिंह जी के सौजन्य से इन के जेष्ठ पुत्र बाबू राम नारायण सिंह के कर कमलों द्वारा संपन्न हुआ यह मंदिर वर्तमान में इन्हीं के वंशजों द्वारा संचालित है

शिव प्रसाद सिंह जो संस्थापक परिवार के सदस्य हैं का कहना है कि मंदिर की स्थापना का उद्देश्य धर्म के प्रति झुकाव के साथ-साथ आत्मरक्षा तथा पारिवारिक उत्थान की भावना से था स्वर्गीय राम नारायण सिंह जो कि मंदिर के संस्थापक थे को स्वप्न हुआ कि कलश पूजा किया जाए उन्होंने अपने स्वर्गीय कुंदन कुमार के सहयोग से एक झोपड़ी में कलश पूजा प्रारंभ की भक्ति भावनाओं से तथा ईश्वर में विश्वास रखने वाला या परिवार शक्ति की देवी की स्थापना के प्रति था या परिवार बड़ी ही नियम निष्ठा से धूमधाम से हर्षोल्लास के साथ मंदिर की स्थापना की ।

मंदिर में मुख्य प्रतिमा मां दुर्गा की महिसासुरमर्दनी रूपी है जो अपने अप्रतिम  तेज और दिव्य दृष्टि से अलंकृत है साथ ही प्रतिमा के बाएं और दाएं 2 योगिनीयां है । जो मां दुर्गा की सहयोगिनी हैं । मां दुर्गा का रूप अपने कारनामों से लोगों को प्रभावित करता है मां दुर्गा की विजयवाहिनी रूप और असत्य पर सत्य की विजय का प्रतीक है । कई सिद्ध साधक अपने मनोभिलाषित इच्छा  की पूर्ति के लिए तन मन धन से देवी की अर्चना और अपनी मंजिल को अंजाम देने में सफल हुए ।


दशहरा पूजा के समय मंदिर में दसों दिन दीपक निरंतर जलते रहता है दीपक का बुझना यहां के लोग और अशुभ सूचक मानते हैं तथा अनिष्ट की आशंका करते हैं ।

 एक बार की कहानी है कि अनायास ही आंधी तूफान उठ खड़ा हुआ मंदिर में खिड़की के पल्ले नहीं रहने के कारण दीपक बुझ जाने की आशंका थी उस भयंकर हवा के झोंके में दीपक का निरंतर जला रहना अद्भुत आश्चर्य आश्चर्य तो है ही यहां देवी की कृपा से समय-समय पर छोटी बड़ी अद्भुत घटनाएं होते होते टल जाती है जिससे लोगों के दिलों में आस्था और बढ़ती जाती है विनय कुमार सिंह का कहना है कि इस मंदिर में पूजा अर्चना करने वाले के मनोरथ सिद्ध होते हैं यहां साधकों द्वारा किया जाने वाला महामृत्युंजय , बगलामुखी आदि जपों को  नियम पूर्वक करने पर उसका तत्कालिक प्रभाव देखा जाता है मंदिरों की व्यवस्था की देखरेख हेतू इसके संस्थापक ने 4 बीघा 5 कट्ठा  जमीन अंशदान दिया है वर्तमान में मंदिर के संचालक का भार सीता शरण सिंह के जिम्मे था जो कि अब उन्हीं के परिवार के सहयोगी द्वारा संपन्न कराया जाता हैं जो कि  संस्थापक परिवार के वंशज हैं ।

ये लोग दशहरा पूजा तथा दैनिक उपयोग में लाई जाने वाली वस्तुओं का प्रबंध करते हैं मंदिर की दैनिक पूजा का भार गांव के ठाकुर वाली के पुजारी को सौंपा गया है । गोसाईं गाँव के पंडित कुशेश्वर झा द्वारा या कार्य संपन्न होता था परंतु उनके आकस्मिक निधन के पश्चात उनके पुत्र के सहयोग से यह कार्य संपन्न होता है वर्तमान में इस कार्य के लिए पंडित मनोज झा नियुक्त है । मंदिर में दुर्गा पूजा के समय में देवी की पूजा वृहत रूप में की  जाती है समय निष्ठा के साथ यहां पूजा स्थापना के समय से ही होती आ रही है दरभंगा निवासी पंडित मोहन मिश्रा जो कि इस परिवार के गुरु महाराज थे जिन्होंने इस परिवार के सदस्यों को गुरु मंत्र और गुरु दीक्षा देने का कार्य किया था के द्वारा ही आश्विन मास में होने वाली पूजा संपन्न होती आ रही थी ।

वह बहुत ही निर्धन परिवार के ब्राह्मण थे परंतु अपनी त्याग तपस्या तथा पूजा में आशक्ति के बदौलत उनकी निर्धनता संपन्नता में बदल गई ।

तेतरी निवासी पंडित विद्याधर कुँवर द्वारा दशहरा पूजन संपन्न किया जाता हैं ।

मंदिर के संस्थापक परिवार के लोगों ने बताया कि हाल ही में शिव शक्ति योग पीठ के संस्थापक स्वामी आगमानंद जी महाराज द्वारा सप्तशती का धाराप्रवाह पाठ संपन्न हुआ  जो कि अपने आप में काफी प्रभावशाली रहा ।  पूजा पाठ से मंदिर का दिव्य पुंज विद्यमान रहता है

मंगलवार, 9 अक्टूबर 2018

आज से शुरू हो रही नवरात्रि , जाने कुछ खास जानकारी डॉ० रजनीकांत देव से


10 अक्टूबर 2018, आश्विन शुक्ल 1
नवरात्रि

नवरात्रि -
नवरात्रि एक संस्कृत शब्द है, जिसका अर्थ होता है 'नौ रातें'। इन नौ रातों और दस दिनों के दौरान, शक्ति / देवी के नौ रूपों की पूजा की जाती है। दसवाँ दिन दशहरा के नाम से प्रसिद्ध है। नवरात्रि वर्ष में चार बार आता है। पौष, चैत्र,आषाढ,अश्विन प्रतिपदा से नवमी तक मनाया जाता है।
हमारी चेतना के अंदर सतोगुण, रजोगुण और तमोगुण- तीनों प्रकार के गन व्याप्त हैं। प्रकृति के साथ इसी चेतना के उत्सव को नवरात्रि कहते है। इन ९ दिनों में पहले तीन दिन तमोगुणी प्रकृति की आराधना करते हैं, दूसरे तीन दिन रजोगुणी और आखरी तीन दिन सतोगुणी प्रकृति की आराधना का महत्व है ।

माँ की आराधना -
नवरात्रि के नौ रातों में तीन देवियों - महालक्ष्मी, महासरस्वती या सरस्वती और दुर्गा के नौ स्वरुपों की पूजा होती है जिन्हें नवदुर्गा कहते हैं। इन नौ रातों और दस दिनों के दौरान, शक्ति / देवी के नौ रूपों की पूजा की जाती है। दुर्गा का मतलब जीवन के दुख कॊ हटानेवाली होता है। नवरात्रि एक महत्वपूर्ण प्रमुख त्योहार है जिसे पूरे भारत में महान उत्साह के साथ मनाया जाता है। माँ सिर्फ आसमान में कहीं स्थित नही हैं, ऐसा कहा जाता है कि -
"या देवी सर्वभुतेषु चेतनेत्यभिधीयते" -
"सभी जीव जंतुओं में चेतना के रूप में ही माँ / देवी तुम स्थित हो"

नौ देवियाँ :
शैलपुत्री - इसका अर्थ- पहाड़ों की पुत्री होता है।
ब्रह्मचारिणी - इसका अर्थ- ब्रह्मचारीणी।
चंद्रघंटा - इसका अर्थ- चाँद की तरह चमकने वाली।
कूष्माण्डा - इसका अर्थ- पूरा जगत उनके पैर में है।
स्कंदमाता - इसका अर्थ- कार्तिक स्वामी की माता।
कात्यायनी - इसका अर्थ- कात्यायन आश्रम में जन्मि।
कालरात्रि - इसका अर्थ- काल का नाश करने वली।
महागौरी - इसका अर्थ- सफेद रंग वाली मां।
सिद्धिदात्री - इसका अर्थ- सर्व सिद्धि देने वाली।

शक्ति की उपासना का पर्व शारदीय नवरात्र प्रतिपदा से नवमी तक निश्चित नौ तिथि, नौ नक्षत्र, नौ शक्तियों की नवधा भक्ति के साथ सनातन काल से मनाया जा रहा है। सर्वप्रथम श्रीरामचंद्रजी ने इस शारदीय नवरात्रि पूजा का प्रारंभ समुद्र तट पर किया था और उसके बाद दसवें दिन लंका विजय के लिए प्रस्थान किया और विजय प्राप्त की। तब से असत्य, अधर्म पर सत्य, धर्म की जीत का पर्व दशहरा मनाया जाने लगा। आदिशक्ति के हर रूप की नवरात्र के नौ दिनों में क्रमशः अलग-अलग पूजा की जाती है। माँ दुर्गा की नौवीं शक्ति का नाम सिद्धिदात्री है। ये सभी प्रकार की सिद्धियाँ देने वाली हैं। इनका वाहन सिंह है और कमल पुष्प पर ही आसीन होती हैं। नवरात्रि के नौवें दिन इनकी उपासना की जाती है।
नवदुर्गा और दस महाविद्याओं में काली ही प्रथम प्रमुख हैं। भगवान शिव की शक्तियों में उग्र और सौम्य, दो रूपों में अनेक रूप धारण करने वाली दशमहाविद्या अनंत सिद्धियाँ प्रदान करने में समर्थ हैं। दसवें स्थान पर कमला वैष्णवी शक्ति हैं, जो प्राकृतिक संपत्तियों की अधिष्ठात्री देवी लक्ष्मी हैं। देवता, मानव, दानव सभी इनकी कृपा के बिना पंगु हैं, इसलिए आगम-निगम दोनों में इनकी उपासना समान रूप से वर्णित है। सभी देवता, राक्षस, मनुष्य, गंधर्व इनकी कृपा-प्रसाद के लिए लालायित रहते हैं।
नवरात्रि उत्सव देवी अंबा (विद्युत) का प्रतिनिधित्व है। वसंत की शुरुआत और शरद ऋतु की शुरुआत, जलवायु और सूरज के प्रभावों का महत्वपूर्ण संगम माना जाता है। इन दो समय मां दुर्गा की पूजा के लिए पवित्र अवसर माने जाते है। त्योहार की तिथियाँ चंद्र कैलेंडर के अनुसार निर्धारित होती हैं। नवरात्रि पर्व, माँ-दुर्गा की अवधारणा भक्ति और परमात्मा की शक्ति (उदात्त, परम, परम रचनात्मक ऊर्जा) की पूजा का सबसे शुभ और अनोखा अवधि माना जाता है। यह पूजा वैदिक युग से पहले, प्रागैतिहासिक काल से है। ऋषि के वैदिक युग के बाद से, नवरात्रि के दौरान की भक्ति प्रथाओं में से मुख्य रूप गायत्री साधना का हैं।
नवरात्रि के पहले तीन दिन :
नवरात्रि के पहले तीन दिन देवी दुर्गा की पूजा करने के लिए समर्पित किए गए हैं। यह पूजा उसकी ऊर्जा और शक्ति की की जाती है। प्रत्येक दिन दुर्गा के एक अलग रूप को समर्पित है। त्योहार के पहले दिन बालिकाओं की पूजा की जाती है। दूसरे दिन युवती की पूजा की जाती है। तीसरे दिन जो महिला परिपक्वता के चरण में पहुंच गयी है उसकि पूजा की जाती है। देवी दुर्गा के विनाशकारी पहलु सब बुराई प्रवृत्तियों पर विजय प्राप्त करने के प्रतिबद्धता के प्रतीक है।
नवरात्रि के चौथा से छठे दिन :
व्यक्ति जब अहंकार, क्रोध, वासना और अन्य पशु प्रवृत्ति की बुराई प्रवृत्तियों पर विजय प्राप्त कर लेता है, वह एक शून्य का अनुभव करता है। यह शून्य आध्यात्मिक धन से भर जाता है। प्रयोजन के लिए, व्यक्ति सभी भौतिकवादी, आध्यात्मिक


नवरात्रि के दौरान सुहागिन महिलाओं को भूलकर भी नहीं करने चाहिए ये 5 काम, जानिए

नवरात्रि के दौरान सुहागिन महिलाओं को भूलकर भी नहीं करने चाहिए ये 5 काम, जानिए

संकलन : दीपिका भारती

10 अक्टूबर से पूरे भारत में नवरात्रि का उत्सव बहुत ही धूमधाम से मनाते हैं, इस लिए आज हम आपको नवरात्रि के दौरान महिलाओं को इन कामों को करने से बचना चाहिए, ये वो गलतियां हैं जो महिलाओं से अनजाने में हो जाती हैं, नवरात्रि के समय ज्यादातर लोग मंदिर जाकर मां के दर्शन करता है जिससे माता की कृपा उसके ऊपर सदैव बनी रहे, सुहागिन महिलाओं को इन नौ दिनों में बहुत ज्यादा इन बातों का ख्याल रखना चाहिए|

1. हर गृहणी को ध्यान रखना चाहिए कि उसके घर में इन नौ दिनों में लहसुन या प्याज का सेवन ना हो. इसकी गंध घर में फैलने से वातावरण दूषित हो जाता है|

2. जिस घर में माता का कलश स्थापित हो उन दिनों घर के लोगों दाढ़ी, नाखुन और बालों को नहीं कटवाना चाहिए. शास्त्रों में इन कामों को नवरात्रि के दौरान करने की सख्त मनाही है|

3. हिंदू धर्म में नवरात्रि के समय में व्यक्ति को मांस और मदिरा का सेवन करने से बचना चाहिए, वरना घर में उल्टे लेने के देने पड़ जाते हैं|

4. अगर नवरात्रि के समय आप 9 दिनों के व्रत में हैं तो आपको इसमें ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए. आपको अपने पार्टनर से दूरी बनाकर रखना चाहिए, इससे माता की कृपा आप पर बसेगी|

5. सुबह जल्दी-जल्दी में महिलाएं अपना श्रंगार भी ठीक से नहीं कर पातीं और ना ही वे सिंदूर लगाती हैं. मगर इन नौ दिनों में आपको सुबह पूजा के समय खुद को अच्छा बनाना होगा खासकर महिलाओं को सिंदूर जरूर लगाना चाहिए|

जय माता दी|

रविवार, 7 अक्टूबर 2018

नारायणपुर : भवानीपुर ओपी प्रभारी की  कार्यशैली से नाराज है शाहपुर के ग्रामीण , डीजीपी पटना को दिया आवेदन

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संकलन : राजेश भारती 

पुलिस जिला नवगछिया के भवानीपुर ओपी प्रभारी जयंत प्रकाश की कार्यशैली से शाहपुर गांव के लोग नाराज चल रहे हैं  इसको लेकर 220 ग्रामीणों ने हस्ताक्षर युक्त आवेदन डीजीपी पटना डीआईजी भागलपुर न्यायिक दंडाधिकारी प्रथम नवगछिया को प्रेषित किया है ग्रामीणों ने ओपी प्रभारी पर कानूनी कार्रवाई की मांग की है मामला 19 अगस्त को शाहपुर में हरिलाल और उसकी पत्नी उमा देवी की मौत से जुड़ा है जमीन के लिए बड़े बेटे ध्रुव मंडल और उसकी पत्नी मंजू देवी उर्फ नीतू देवी ने जहर देकर मार डाला इसकी प्राथमिकी दर्ज कराई थी इस बात को लेकर सूचना पर पहुंचे थे उस समय उमा देवी जीवित थी लेकिन पुलिस ने इलाज के लिए सरकारी अस्पताल में भर्ती नहीं कराया गया, लिहाजा उनकी मौत हो गयी और सड़क पर विरोध में जन आक्रोश उमड़ पड़ा था इससे हार खाए ओपी प्रभारी ने सूचक गौतम सहित 17 नामजद एवं 50 अज्ञात के ख़िलाफ़ सड़क जाम सहित अन्य आरोप लगाकर  प्राथमिकी दर्ज कर दी ।

नवगछिया में पहली बार : लायन्स क्लब ऑफ नवगछिया टाउन के तत्वाधान में लायन्स सर्विस वीक चेलेंज के तहत बाल भारती पोस्ट ऑफिस रोड में "बाल चिकित्सा शिविर" का आयोजन


Gosaingaon Samachar
आज दिनांक 08-10-2018 दिन सोमवार को लायन्स क्लब ऑफ नवगछिया टाउन के तत्वाधान में लायन्स सर्विस वीक चेलेंज के तहत बाल भारती पोस्ट ऑफिस रोड में *बाल चिकित्सा शिविर* का आयोजन किया गया।इस शिविर का उद्घघाटन डिस्टिक चेयर पर्सन लायन पवन कुमार सर्राफ,उपाध्यक्ष बाल भारती श्री अजय कुमार रूंगटा,डा बी.पी.चौधरी,डा.बी.पी.राय, डा.ए.के.केजरीवाल,डा.बी.एल.चौधरी,डा.अरुण राय,डा.जमशेद अहमद,डा.बादल चौधरी,डॉ सौम्या चौधरी ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्ज्वलित कर किया गया।इस शिविर में करीबन 200 बच्चों की नेत्र जांच,दांत जांच,जनरल बॉडी चेकअप,हड्डी जांच और ब्लड ग्रुप जांच कराया गया।जिसके तहत बच्चों को जांच कर उचित परामर्श दिया गया।इस आयोजन को सफल बनाने में कार्यक्रम संयोजक बिनोद चिरानियाँ, मोहन लाल चिरानियाँ,अध्यक्ष शिव कुमार पंसारी,सचिव सुभाष चन्द्र वर्मा,प्रो.विजय कुमार,मनोज सर्राफ,नीलम चौधरी एवं अनुराधा पंसारी की भूमिका अहम रही।







नारायणपुर : गोली लगनें से युवक घायल , रेफर

संकलन : R K B

नरायणपुर:-
भवानीपुर व नगरपारा  के बीच तीन गछिया कोसी तटबंध  के पास भवानीपुर ओपी क्षेत्र के साहपुर गाँव के गुंजन कु यादव(डीलर मुनिलाल यादव का पुत्र)गोली लगने से जख्मी.हालत सामान्य है।बेहतर ईलाज के लिये उसे रेफर किया।