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गुरुवार, 28 मई 2020

नवगछिया स्टेशन पर पहुंची, 20 से अधिक ट्रेनें, 4500 सौ से अधिक प्रवासी उतरे नवगछिया - अफरा तफरी का माहौल घंटे बस के इंतजार करते रहे प्रवासी दिल्ली और मुंबई से आये अधिकांश प्रवासी GS NEWS

 नवगछिया स्टेशन पर गुरूवार को रिकार्ड 20 से अधिक ट्रेनों का ठहराव हुआ जिससे करीब 45 सौ मजदूर उतरे. सभी प्रवासियों को बसों से उनके संबंधित जिलों के कोरेंटिन सेंटरों को भेजा गया. गुरूवार को दिन भर में एक साथ कई मजदूरों के उतरने पर स्टेशन पर अफरा तफरी रही तो बड़ी संख्या में मजदूरों को घंटे नवगछिया स्टेशन पर ही रह कर बसों के आने का इंतजार करना पड़ा. स्टेशन पर प्रवासियों को बाजार घूमते और बस की व्यवस्था तुरंत नहीं होने पर खुद ही एनएच 31 बस स्टैंड जा कर भी रवाना होते देखा गया. स्थानीय लोगों ने इसे बेहद खतरनाक बताया है और पुलिस प्रशासन से मांग की है कि बसों की संख्या में इजाफा किया जाय और स्टेशन पर उतरने वाले सभी मजदूरों को प्रशासनिक स्तर की बसों से ही उनके जिलों तक भेजा जाय नहीं तो आये दिन अनजाने में ये प्रवासी नवगछिया के सामान्य लोगों को भी कोरोना संक्रमित कर सकते हैं. 
दिल्ली और मुंबई से आये अधिकांश प्रवासी 
नवगछिया स्टेशन पर उतरने वाले अधिकांश प्रवासी दिल्ली और मुंबई से आये थे. जिन्हें पूर्णियां, मधेपुरा, भागलपुर, बांका, मुंगेर, गोड्डा आदि जगहों पर जाना था. नवगछिया में प्रशासनिक स्तर से अलग अलग जगहों के लिए आठ बसों की व्यवस्था की गयी है. जिस कारण प्रवासी लोगों को घंटे इंतजार करना पड़ा. 

नवगछिया पहुंचने के बाद प्रवासियों की चाहत रहती है खाना खाने की 
नवगछिया पहुंचते ही प्रवासियों की चाहत रहती है कि वे किसी हॉटल में बैठ कर भर पेट भोजन करे. लेकिन नवगछिया में सभी हॉटल बंद रहने से प्रसासियों के हिस्से में यह सुविधा नहीं हो पाती है. दिल्ली से आने वाले बांका के जितेंद्र कुमार ने कहा कि वह दो दिनों से भूखा है. रास्ते में उन्हें चूरा या मूढ़ी खा कर ही संतोष करना पड़ा है. रास्ते में कई जगहों पर समाज सेवी संस्थाओं द्वारा भोजन वितरण तो किया जा रहा था लेकिन वह इतना कम था कि कोई ले पाया और कोई देखाता ही रह गया. जितेंद्र ने कहा कि उसने सोच रखा था कि नवगछिया पहुंचने के बाद वह किसी हॉटल में भरपेट भोजन करेगा लेकिन नवगछिया पहुंचने के बाद पता चला कि यहां सभी दुकानें बंद हैं. अनाधिकृत रूप से खुली एक चाय की दुकान पर चाय पिया और एक नाश्ते की दुकान पर फिर भूजा कर बस का इंतजार करना पड़ रहा है.

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