कहानी रंगरा चौक प्रखंड के जहांगीरपुर वैसी का है. चंडीगढ़ में रह रहे नौ दोस्तों का हाल लॉक डाउन के कारण बुरा हो गया था. सबों ने निर्णय लिया कि अब परदेश में जीवन की गुंजाइश नहीं, इसलिये गांव चला जाय. बड़ी मुश्किल से सभी गांव पहुंचे तो गांव वालों ने गांव में घुसने नहीं दिया. अंततः रंगरा कोरेंटिन सेंटर में ठिकाना मिला. ईद से एक दिन पहले घर आये, सभी दोस्त खुश थे चलो पर्व में तो घर आ गए लेकिन जब घर के हालात को सुनकर सभी चिंतित हो गए. सभी दोस्त पहले से जमा रकम को अब तक खर्च कर चुके हैं अब चौका चूल्हा चलना भी आफत है. दूर दूर तक कोई मददगार नहीं. सभी नौ दोस्त मो शहादत, मो इजहार, मो नासिर, मो शमशाद, मो मोतसर, मो इंतजार, मो जांबाज, मो कयूम ने बताया कि वे लोग चंडीगढ़ में राजमिस्त्री का काम करते थे. लॉक डाउन लगते ही उनलोगों को काम नहीं मिलने लगा था. सोचा था गांव में काम मिल जाएगा लेकिन जब से घर आये हैं खाली बैठे हैं, कहीं काम नहीं है. कुछ जगहों पर काम भी है तो वहां लोकल मजदूर ही काम करते हैं. काम मांगने पर कहा जाता है कि अभी कुछ दिन इंतजार करना होगा. यहां स्थानीय स्तर के मजदूरों को भी काम नहीं मिल रहा है. प्रवासियों ने बताया कि कोरेंटिन सेंटर में उनलोगों का बैंक खाता नंबर लिया गया था लेकिन एक रूपया भी नहीं आया है. न ही मनरेगा के तरफ से कुछ मिलना सिनिश्चित हुआ है.
पैसे के आभाव में इस वर्ष बेटी की शादी नहीं कर पाएंगे इंतजार
लॉक डाउन से पहले मो इंतजार की पुत्री की शादी होने की बात तय थी लेकिन इंतजार के पास शादी का खर्च नहीं रहने के कारण अब वे इस वर्ष अपनी पुत्री की शादी नहीं कर सकेंगे. मो शहादत ने कहा कि उनलोगों को नमक रोटी पर भी आफत है. मो शहादत ने गांवई भाषा में कहा कि निम्मक रोटी पर भी आफत छै दादा, शादी बियाह अभी के सोचै छै.
अनुमंडल में कोरेंटिन सेंटर से अब तक डिस्चार्ज हुए बड़ी संख्या में लोग हैं बेरोजगार
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