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गुरुवार, 25 जून 2020

देर रात गहरी नींद में सो रहे बच्चे चीख भी नहीं पाये - मृतक बच्चों के परिजनों के रूक नहीं रहे आंसू GS NEWS

(ऋषभ मिश्रा कृष्णा मुख्य संपादक जीएस न्यूज़)

नवगछिया  - जाह्नवी चौक पर ट्रक के झोपड़ी में घुस जाने के बाद ट्रक के नीचे दबने से हुई तीन मासूम बच्चों की मौत की घटना से जो भी रू ब रू हुआ उसकी रूह कांप गयी. कई लोग तो शवों को देख पाने की स्थिति में भी नहीं थे. शव देखते ही लोगों के मुंह से अनायास ही निकल पड़ता था हे भगवान यह क्या कर डाला. मालूम हो कि चंद्रदेव मंडल की कुल पांच संतानें थी. इस हादसे में दो पुत्री और एक बड़ा पुत्र मारा गया. चंद्रदेव मंडल और उनकी पत्नी कारी देवी के आंखों से आंसू रूक नहीं पा रहे हैं. कारी देवी तो दहाड़ मार कर रो रही है. वह बार बार अपने बच्चों के शवों को पुचकारती है और कहती है सुबह हो गयी है अब उठ जाओ. वह भगवान को कोसती है, कहती है मौत देना था तो मुझे दे देते, बच्चों की जिंदगी तो अभी शुरू भी नहीं हुई थी. परिजनों ने बताया कि खरीक के बड़ी अलालपुर गांव में घर गंगा कटाव में कट जाने के बाद चंद्रदेव के परिवार के समक्ष रोजी रोटी की बड़ी समस्या थी, इसलिये जाह्नवी चौक के पास एक चाय नाश्ते की दुकान खोल ली और पूरे परिवार के साथ यही रहने लगे. बच्चे पास ही के सरकारी स्कूल में पढ़ते थे. बड़ा लड़का सूरज अपने पिता के काम में काफी हाथ बांटता था. पिता की अनुपस्थिति में वह दुकान भी संभाल लेता था. आस पास के दुकानदारों ने बताया कि बच्चे आप पास ही खेलते थे. बुधवार को देर शाम बच्चे काफी खुश भी थे. सभी सुबह सवेरे जगते थे इसलिये जल्दी सो जाया करते थे. घटना के समय मे सभी गहरी नींद में थे. ट्रक के घुसने और पलट जाने के बाद दो बच्चे झोपड़ी में दूर फेंका गये और चीखने चिल्लाने लगे लेकिन तीन बच्चे जो ट्रक के नीचे दब गए वे चीख भी नहीं पाये. मृतकों के पिता ने कहा कि वे तो बच्चों को तभी देख पाए जब ट्रक को किरान से हटाया गया. हादसे में बाल बाल बच गए चंद्रदेव मंडल के चौथी और पांचवी पुत्र पुत्री क्रमशः हिमांशु कुमार और सोनाक्षी कुमारी की आंखों में रात के भय का मंजर स्पष्ट देखा जा रहा है. दोनों अपने भाई बहनों का शव एक टक देखे जा रहे हैं. नवगछिया के स्थानीय लोगों पूर्व जिलापार्षद विजय कुमार मंडल, राघोपुर के मुखिया प्रतिनिधि छोटेलाल मंडल, मुखिया मनोरमा देवी, बीजेपी नेता प्रमोद कुमार मंडल ने कहा कि ट्रक की रफ्तार नवगछिया अनुमंडल में लोगों के लिये जानलेवा साबित हो रहा है. प्रशासन को ट्रकों के परिचालन पर नजर रखने की आवश्यकता है. दूसरी तरफ मृतकों का परिवार बेहद गरीब और भूमिहीन है. उन्हें जमीन के साथ परिवार के एक सदस्य को नौकरी और समुचित मुआवजा मिलना चाहिये.

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