वर्ष 2020 कोरोनाकाल के लिए जाना जाएगा। इस कोरोना ने एक ओर हम सबों के साथ-साथ देश को आर्थिक और मानसिक रूप से क्षति पहुंचाया है तो दूसरी ओर इस लॉकडाउन की वजह से पर्यावरण को काफी लाभ मिला है और पूरे देश का पर्यावरण साफ हो गया है। इस कोरोनाकाल में हमने प्रकृति का जो अद्भुत नजारा देखा है शायद ही हम उसे कभी भुला पाएं।
गलियों में चिड़ियों की चहचहाहट से लेकर कोयल की सुरीली आवाज सुनकर लोगों का मन प्रसन्न हो रहा था।चांद, तारे अपनी चमक से आकाश को सुशोभित कर दिया था।गंगा सफाई और पर्यावरण की सुरक्षा में सरकार ने जो खर्च किया उससे ज्यादा इस लॉकडाउन की वजह से पूरा वातावरण साफ हो गया।
इस वर्ष पर्यावरण दिवस कोरोना काल में आया है। इस काल में लोगों ने इस बात को माना कि उन्होंने प्रकृति के साथ बहुत खिलवाड़ किया है।कोरोना के साथ ही प्रकृति में आ रहे लगातार परिवर्तन से लोग डरे हुए हैं। ऐसे लोग भी अब पौधे लगाने के साथ साथ जल संरक्षण का भी संकल्प ले रहे हैं, जिन्होंने यह मान लिया था कि पर्यावरण से उनका कोई सरोकार नहीं है , वैसे कुछ लोग पर्यावरण के प्रति काफी सजग हुए हैं और अब मोटर साइकिल की जगह साइकिल को ज्यादा तरजीह देने लगे हैं, ताकि पर्यावरण के साथ वे भी सुरक्षित रहें।मैं तो कहूंगा कि साल में बस एक दिन पर्यावरण को लेकर चिंतित न होकर हम प्रत्येक दिन की इसकी चिंता करें और पर्यावरण को स्वच्छ रखने के लिए पहले अपने आसपास की स्वच्छता को बनाए रखें । नदी, तलाब, पोखर आदि को कचड़ा फेंक कर दूषित न करें।
पर्यावरण को बचाने के लिए हम कम से कम एक पौधा जरूर लगाएं और उसके विकास में भी अपनी भागीदारी बनाए रखें।
चंद्रगुप्त साह
नवगछिया, भागलपुर
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