कुल पाठक

बुधवार, 24 जून 2020

श्रावणी मेला 2020 : कोरोना ने निकाला कचूमर , व्यवसायियों की तैयारी पर फिरा पानी GS NEWS


 इस बार कावंरिये देवघर और वासुकिनाथ में बाबा भोलेनाथ के दर्शन नहीं कर सकेंगे। कोरोना संक्रमण के चलते झारखंड सरकार द्वारा श्रावणी मेला का आयोजन नहीं करने का निर्णय लेने के बाद सुल्तानगंज में भी इसकी तैयारी पर ग्रहण लग गया है। जिला प्रशासन का कहना है जब बाबा का दर्शन ही नहीं होगा तो कांवरिये वहां जाएंगे ही क्यों?इधर श्रावणी मेला को लेकर व्यवसायियों द्वारा की जा रही तैयारी पर कोरोना ने वज्रपात कर दिया है। व्यवसायियों की तैयारी इस बार धरी की धरी रह गई है।
छह जुलाई से शुरू होगा सावन
सावन का महीना छह जुलाई सोमवार से शुरू हो रहा है। कोरोना संक्रमण के कारण अब तक जिला प्रशासन ने स्तर से कोई तैयारी शुरू नहीं की गई है। राज्य सरकार मेला आयोजित कराने को लेकर कोई भी रिस्क लेना नहीं चाहती। हालांकि अब तक श्रावणी मेला के आयोजन को रद करने की घोषणा नहीं की गई है।

आजीविका का भी है साधन
श्रावणी मेला महज एक ध‍ार्मिक आयोजन नहीं है बल्कि भागलपुर से देवघर तक सौ किमी क्षेत्र की बड़ी आबादी के लिए यह आर्थिक मेला भी है। हजारों परिवारों की साल भर की आजीविका इसी पर निर्भर है। मेले के दौरान देश के विभिन्न राज्यों से प्रतिदिन लाख से डेढ़ लाख लोग सुल्तानगंज आकर गंगाजल लेकर पैदल बाबाधाम के लिए प्रस्थान करते हैं। सोमवार को इसकी संख्या तीन लाख के पार कर जाती है।
नहीं हो रही अस्थायी दुकानों की तैयारी
मेला रूट पर कांवर, रेडिमेड कपड़ों, प्लास्टिक के डिब्बों सहित भोजनालयों को खोलने की कहीं कोई तैयारी नहीं दिख रही है। कोरोना का खौफ स्पष्ट दिख रहा है। पहले आषाढ़ शुरू होने तक सारी तैयारियां पूरी कर ली जाती थी। यह इसलिए कि आषाढ़ की अमावस्या से ही औसतन प्रतिदिन पांच हजार कांवरियों का पैदल जाना शुरू हो जाता था। व्यवसायियों का कहना है कि पूंजी लगा दें और मेला नहीं चला तो बड़ा रिस्क हो जाएगा।

अगर देवघर में बाबा के दर्शन नहीं हुए तो यहां से कांवरिये क्यों जाएंगे। हालांकि, अभी तक झारखंड सरकार के निर्णय से संबंधित कोई पत्र नहीं मिला है। पत्र मिलने के बाद आगे कोई निर्णय लिया जाएगा - राजेश झा राजा, अपर समाहर्ता, भागलपुर
व्यवसायियों ने कहा
दो लाख की पूंजी लगा रखी है, लेकिन झारखंड सरकार के श्रावणी मेला पर रोक लगाने के निर्णय से झटका लगा है। हमलोगों की जीविका इसी मेला व्यवसाय पर निर्भर है। - अजय कुमार चौधरी, कांवर व्यवसायी
श्रावणी मेला के व्यवसाय से ही पूरे वर्ष के उतार-चढ़ाव को संतुलन मिलता है। शहर में होटल व्यवसाय का बाकी महीनों में कोई आधार नहीं है। झारखंड सरकार के फैसले से शहर के छोटे बड़े सभी तबके के व्यवसायियों को झटका लगा है- रतन कुमार झा, होटल व्यवसायी
कर्ज लेकर लाठी का स्टॉक किया था। श्रावणी मेला बंद होने से सोच में पड़ गया हूं कि महाजन का कर्ज कहां से चुकाएंगे और अब अगले एक साल तक रोजी रोटी का जुगाड़ कहां से होगा। - सुदामा प्रसाद गुप्ता, लाठी व्यवसायी

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें