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मंगलवार, 11 अक्टूबर 2016

नवगछिया : माँ दुर्गा की महाआरती ढाक से ।

नवगछिया दुर्गा मंदिर में आज दशमी की संध्या विषर्जन पूजन के बाद महाआरती का आयोजन किया गया जिसमें ढ़ाक की ताल पर मैया की स्तुति की गयी ।
आरती को लाइव देखें :


तेतरी दुर्गा मंदिर , विषर्जन में उमड़ा जनसैलाब , मैया की प्रतिमा का परिक्रमा ।


विषर्जन : तेतरी दुर्गा मंदिर से LIVE (11-10-16)

GS:

तेतरी में स्थापित दुर्गा मैया की प्रतिमा का  विषर्जन आज संध्या 5 बजे हुआ । विषर्जन के कुछ तस्वीर आपके लिए । 
सभी तस्वीर 2016 की ही हैं ।


प्रतिमा परिक्रमण 







सोमवार, 10 अक्टूबर 2016

नवरात्री विशेष (10/11) : बिहार के अनुपम मंदिरों में से एक हैं तेतरी का दुर्गा मंदिर

GS:
नौगछिया अनुमंडल के तेतरी गाँव में बिहार के प्रमुख दुर्गा मंदिरों में से एक मंदिर हैं तेतरी का दुर्गा मंदिर ।
9 क्रमागत मंदिरों से मिलकर बना एक विशाल मंदिर तैयार हुआ हैं । जहाँ मैया का साक्षात् विराजमान हैं । इसकी एक खास विशेषता यह है कि यह मन्दिर जमीन पर नहीं बना है। मतलब कि मन्दिर नीचे से हीं कई खंभों पर आधार देकर बनाया गया है। अतः काफी बाढ़ आने की स्थिति में भी यह मन्दिर काफी सुरक्षित है। मन्दिर की सुंदरता देखते हीं बनती है। मन्दिर के प्रांगण में वाहनों की पार्किंग के लिए काफी जगह है। राष्ट्रीय राज-मार्ग संख्या 31 के ज़ीरो माइल जहां पर कि विक्रमशिला पुल का रोड आकर मिलती है, वहाँ से मात्र कुछ हीं मिनटों में पैदल चलकर पहुँचा जा सकता है।

मंदिर के दोनों तरफ व गर्भगृह के नीचें का एक बड़ा परिसर अन्य दिनों के लिए खाली रहता हैं । वर्तमान में नवरात्री के मौकें पर जहाँ मंदिर के दाहिनें तरफ कार्यालय हैं तो वहीँ बाएं तरफ मंदिर के पीछे लगी मेला जानें का द्वार ।

अभी नवरात्री के मौके पर यहाँ का वातावरण पूर्णतया भक्तिमय हैं । कई एकड़ में फैले इस मंदिर के परिसर में ही प्रतिदिन एक मिनी मार्केट बना रहता हैं । आस-पास के लोग दुर्गा पूजा के अलावा भी मंदिर में पूजा अर्चना के लिए अवश्य रूप से जातें हैं । 

बलि प्रथा यहाँ पूर्णतया बंद हैं । मगर भक्त चढ़ावा चढ़ा कर घर ले जा सकतें हैं । 

महाआरती व महापूजन में उमड़ता हैं भक्तों का जनसैलाब ।
मंदिर में स्थापित मैया की महापूजन व महाआरती में भक्तों का जनसैलाब उमड़ जाती हैं । 

सुरक्षा व्यवस्था रहती हैं सालोंभर चुस्त दुरुस्त ।



दरबार में विराजमान मैया :


मंदिर के सामने परिसर में लगी भक्तों की भीड़ व फुटकर दुकान ।


भव्य मेला में लगा झूला : -



रविवार, 9 अक्टूबर 2016

नवरात्री अष्टमी : व्रती की भीड़ से खचाखच भरा नवगछिया का मंदिर, सुहागिनों ने दिया मैया को खोयछा

GS:
नवगछिया के मेन रोड में स्थित दुर्गा मंदिर में आज अष्टमी  
के अवसर पर भक्तों की खचाखच भीड़ भरी थी । सुहागिनों ने आज मैया के चरणों में खोयछा भी चढ़ाया । आज रात्रि जागरण हैं जिसमें मेन रोड में स्थित माँ दुर्गा मंदिर के सामनें ही जागरण हेतु पंडाल बनाया गया हैं । जिसमें जागरण का आयोजन किया जायेगा ।

नौवें दिन हवन की विधि और उससे चमतकारी लाभ से धन यश की वृद्धि :  डॉ रजनीकान्तदेव

GS:

 नौवें दिन की दुर्गा सिद्धिदात्री हैं। यह दिन मां सिद्धिदात्री दुर्गा की पूजा के लिए विशेष महत्वपूर्ण है। मां भगवती ने नौवें दिन देवताओं और भक्तो के सभी वांछित मनोरथों को सिद्ध कर दिया, जिससे मां सिद्धिदात्री के रूप में सम्पूर्ण विश्व में व्याप्त हुई।

परम करूणामयी सिद्धिदात्री की अर्चना व पूजा से भक्तों के सभी कार्य सिद्ध होते हैं। बाधाएं समाप्त होती हैं एवं सुख व मोक्ष की प्राप्ति होती है।

इस प्रकार अष्टमी को विविध प्रकार से भगवती जगदम्बा का पूजन कर रात्रि को जागरण करते हुए भजन, कीर्तन, नृत्यादि उत्सव मनाना चाहिए तथा नवमी को विविध प्रकार से पूजा-हवन कर नौ कन्याओं को भोजन खिलाना चाहिए और हलुआ आदि प्रसाद वितरित करना चाहिए और पूजन हवन की पूर्णाहुति कर दशमी तिथि को व्रती को व्रत खोलना (पारण करना) चाहिए।
 *हवन की विधि एवं उससे लाभ:-*
 दुर्गा सप्तशती में बताया गया है कि मां दुर्गा को प्रसन्न करने के लिए किस प्रकार से हवन करना चाहिए। हवन के समय लक्ष्मी, ऐश्वर्य और धन संबंधी इच्छा की पूर्ति के लिए पीले रंग के आसन का प्रयोग करें। वशीकरण, उच्चाटन आदि के लिए काले रंग के आसन का प्रयोग करें। बल, शक्ति आदि प्रयोगों के लिए लाल रंग का आसन प्रयोग करें। जबकि सात्विक साधनाओं आदि प्रयोगों के लिए कुश के बने आसन का प्रयोग करें। धन संबंधी प्रयोगों में आप पीले वस्त्रों का ही प्रयोग करें। यदि पीले वस्त्र न हों, तो मात्र धोती पहन लें और ऊपर से शाल लपेट लें। आप चाहें, तो धोती को केसर के पानी में भिगोकर पीला भी रंग सकते हैं।

जायफल से हवन करने से कीर्ति की प्राप्ति होती है। किशमिश से कार्य की सिद्धि होती है। आंवले से सुख और केले से आभूषण की प्राप्ति होती है। इस प्रकार फलों से अर्घ्य देकर यथाविधि हवन करें। खांड, घी, गेंहू, शहद, जौ, तिल, बिल्वपत्र, नारियल, किशमिश और कदंब से हवन करें। गेहूं से होम करने से लक्ष्मी की प्राप्ति होती है। खीर से परिवार-वृद्धि, चंपा के पुष्पों से धन और सुख की प्राप्ति होती है। आंवले से कीर्ति और केले से पुत्र प्राप्ति होती है। कमल से राज सम्मान और किशमिश से सुख और संपत्ति की प्राप्ति होती है। खांड, घी, नारियल, शहद, जौ, तिल तथा फलों से होम करने से मनवांछित वस्तु की प्राप्ति होती है।

*व्रत करने वाला मनुष्य इस विधान से होम कर आचार्य को अत्यंत नम्रता के साथ प्रणाम करें और यज्ञ की सिद्धि के लिए उन्हें दक्षिणा दें। इस महाव्रत को पहले बताई हुई विधि के अनुसार जो कोई करता है, उसके सब मनोरथ सिद्ध हो जाते हैं। नवरात्र व्रत और हवन करने से अश्वमेध यज्ञ का फल मिलता है।*

इस दौरान 'ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे' मंत्र शीघ्र विवाह देने वाला माना जाता है। धन-लाभ के लिए स्फटिक की माला पर 'क्लीं ऐं ह्रीं चामुण्डायै विच्चे' मंत्र का जाप करें। परेशानियों के अंत के लिए 'ओम ऐं ह्यीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे' मंत्र का जाप करना चाहिए।

*हवन के उपरांत साधक जानकारी के अभाव में स्वेच्छानुसार आरती उतार लेते हैं, जबकि देवताओं के सम्मुख चौदह बार आरती उतारने का विधान है। चार बार चरणों पर से, दो बार नाभि पर से, एक बार मुख पर से और सात बार पूरे शरीर पर से। इस प्रकार चौदह बार आरती की जाती है। जहाँ तक हो सके विषम संख्या अर्थात 1, 5, 7 की संख्या में बत्तियां बनाकर ही आरती की जानी चाहिए। इस प्रकार विधानपूर्वक मां दुर्गा की प्रसन्नता के लिए किया गया हवन सब प्रकार के रोग-शोक का नाश करता है और साधक को ऐश्वर्य व मोक्ष प्रदान करता है।*

नवरात्रि में कुछ इस तरह जमाये कन्या व साथ में बटुक, पढ़े पूरी विधि।

GS :
नवरात्र में कन्‍या को नवमी तिथि दिन इन कन्याओं को नौ देवी का रूप मानकर इनका स्वागत किया जाता है । माना जाता है कि कन्याओं का देवियों की तरह आदर सत्कार और भोज कराने से मां दुर्गा प्रसन्न होती हैं और अपने भक्तों को सुख समृधि का वरदान देती हैं।


नवरात्र पर्व के दौरान कन्या पूजन का बड़ा महत्व है. नौ कन्याओं को नौ देवियों के प्रतिबिंब के रूप में पूजने के बाद ही भक्त का नवरात्र व्रत पूरा होता है. अपने सामर्थ्य के अनुसार उन्हें भोग लगाकर दक्षिणा देने मात्र से ही मां दुर्गा प्रसन्न हो जाती है।

*कन्या पूजन की विधि*
- कन्‍या भोज और पूजन के लिए कन्‍याओं को एक दिन पहले ही आमंत्रित कर दिया जाता है।
- मुख्य कन्या पूजन के दिन इधर-उधर से कन्याओं को पकड़ के लाना सही नहीं होता है।
- गृह प्रवेश पर कन्याओं का पूरे परिवार के साथ पुष्प वर्षा से स्वागत करें और नव दुर्गा के सभी नौ नामों के जयकारे लगाएं।
- अब इन कन्याओं को आरामदायक और स्वच्छ जगह बिठाकर सभी के पैरों को दूध से भरे थाल या थाली में रखकर अपने हाथों से उनके पैर धोने चाहिए और पैर छूकर आशीष लेना चाहिए।
- उसके बाद माथे पर अक्षत, फूल और कुंकुम लगाना चाहिए।
- फिर मां भगवती का ध्यान करके इन देवी रूपी कन्याओं को इच्छा अनुसार भोजन कराएं.
- भोजन के बाद कन्याओं को अपने सामर्थ्‍य के अनुसार दक्षिणा, उपहार दें और उनके पुनः पैर छूकर आशीष लें।

*कन्या पूजन में कितनी हो कन्याओं की उम्र?*
कन्याओं की आयु दो वर्ष से ऊपर तथा 10 वर्ष तक होनी चाहिए और इनकी संख्या कम से कम 9 तो होनी ही चाहिए और एक बालक भी होना चाहिए जिसे हनुमानजी का रूप माना जाता है.  जिस प्रकार मां की पूजा भैरव के बिना पूर्ण नहीं होती , उसी तरह कन्या-पूजन के समय एक बालक को भी भोजन कराना बहुत जरूरी होता है. यदि 9 से ज्यादा कन्या भोज पर आ रही है तो कोई आपत्ति नहीं है.

आयु अनुसार कन्या रूप का पूजन 
- नवरात्र में सभी तिथियों को एक-एक और अष्टमी या नवमी को नौ कन्याओं की पूजा होती है.
- दो वर्ष की कन्या (कुमारी) के पूजन से दुख और दरिद्रता मां दूर करती हैं. तीन वर्ष की कन्या त्रिमूर्ति रूप में मानी जाती है. त्रिमूर्ति कन्या के पूजन से धन-धान्‍य आता है और परिवार में सुख-समृद्धि आती है.
- चार वर्ष की कन्या को कल्याणी माना जाता है. इसकी पूजा से परिवार का कल्याण होता है. जबकि पांच वर्ष की कन्या रोहिणी कहलाती है. रोहिणी को पूजने से व्यक्ति रोगमुक्त हो जाता है.
- छह वर्ष की कन्या को कालिका रूप कहा गया है. कालिका रूप से विद्या, विजय, राजयोग की प्राप्ति होती है. सात वर्ष की कन्या का रूप चंडिका का है. चंडिका रूप का पूजन करने से ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है.
- आठ वर्ष की कन्या शाम्‍भवी कहलाती है. इसका पूजन करने से वाद-विवाद में विजय प्राप्त होती है. नौ वर्ष की कन्या दुर्गा कहलाती है. इसका पूजन करने से शत्रुओं का नाश होता है तथा असाध्य कार्यपूर्ण होते हैं.
- दस वर्ष की कन्या सुभद्रा कहलाती है. सुभद्रा अपने भक्तों के सारे मनोरथ पूर्ण करती है.

डॉ रजनीकांत देव ,नौगछिया




बारिश : फ़ीका कर दिया बाजार का रौनक ,मेला का रंग ।

GS:
आज सुबह से शुरू हुई बारिश ने दुर्गा पूजा की रौनक पर पानी फ़ेर दिया हैं । सुबह से बारिश की हल्की बूंदें अब दोपहर से  लगातार हो गयी हैं । जिससे नवगछिया का बाजार क्षेत्र , दुर्गा पूजा के सभी मेला व पंडाल स्थल गर जगह बारिश ने कीचड़मय कर दिया हैं । बारिश ने जहाँ आज अष्ठमी के दिन ही दुकानदारों के चेहरें पर चिंता की लकीरें बिलकुल साफ़- साफ़ दिख रही हैं । मेला के लिए सभी दुकानदारों ने अपने दुकान में सामान भर लिया हैं ।
तो वहीं नवगछिया बाजार के दुकानों में भी भीड़ काफ़ी कम गयी हैं ।

ज्ञात हो की दो वर्ष पहलें भी एक बार दुर्गापूजा में लगातार 4 दिनों तक (अष्ठमी से एकादशी तक ) जम कर बारिश हुई थी जिससे जन-जीवन के साथ साथ मेला परिसर में जलमग्न हो गया था, मेला दुकानदार को खून के  आंशु रोना पड़ा था ।

बारिश की तस्वीर राय बाबा मंदिर की हैं ।


भमरपुर दुर्गा मंदिर (9/11) : माँ दुर्गा का भव्य दरबार , दर्शन करें माता के अनुपम रूप का बाबा भोलेनाथ के साथ ।

माँ भगवती



मैया की प्रतिमा का करें दर्शन ।  बिहार का एक प्रमुख मंदिर में से एक हैं भमरपुर कि बड़ी दुर्गा मैया ।

दरबार में लगा घंटा हैं मुख्य द्वार का शोभा ।





शनिवार, 8 अक्टूबर 2016

नवगछिया की पूर्व भाजपा नेत्री व मशहूर महिला चिकित्सक को नम आँखों से किया विदा |


GS:
नवगछिया अनुमंडल की मशहूर महिला डॉक्टर सह पूर्व भाजपा नेत्री डॉ विमला राय दीदी को आज नवगछिया वासियों ने नम आखों से विदा कर दिया |
 ज्ञात हो की विमला दीदी का निधन लम्बें इलाज के दौरान गुरुवार रात्रि दिल्ली पानीपत में हुआ था , जिनका पार्थिक शरीर आज शनिवार दोपहर उनकें निज आवास नवगछिया लाया गया तत्पश्चात उनकें पार्थिक शरीर को अंतिम संस्कार हेतु बरारी घाट ले जाया गया | मौके पर भाजपा के कई नेता व नवगछिया के कई समाजसेवी व बुद्धिजीवी लोग उपस्थित थे |

सैदपुर : मंदिर में पिंडी पर स्थापित हुई माँ दुर्गा, दर्शन के लिए भक्तों का उमड़ा जन सैलाब

GS:
नवगछिया अनुमंडल के गोपालपुर प्रखंड अंतर्गत सैदपुर में स्थित दुर्गा मंदिर में आज सातवीं पूजा की रात्रि माँ के दरबार का पट खोल दिया गया । मैया भवानी के दर्शन में जनसैलाब उतर आया हैं । 



नवगछिया : मेन रोड में स्थित मैया भगवती दरबार का खुला पट, लगी भक्तों की भीड़

GS:
नवगछिया के मेन रोड में स्थित माँ भगवती मंदिर का पट खुलनें के साथ भक्तों की भीड़ लग गयी हैं ।

GS का नवरात्री पोस्ट (8/11) : पकरा आचार्य टोला दुर्गा मंदिर ।

GS

यूँ तो कहतें हैं कि माँ की ममता के आगे दुनिया की सभी सुख,मोह नगण्य  हैं । इसलिए आज नवरात्रि पूजा के सातवें दिन माँ दुर्गा के कालरात्रि रूप के चरणों में अपना शीश झुकानें चलतें हैं पकरा के आचार्य टोला में स्थापित दुर्गा मंदिर ।

नौगछिया - लक्ष्मीपुर सड़क के बीच एक महोल्ला स्थित हैं जिसे आचार्य टोला पकरा के नाम से जाना जाता हैं । टोला में लगभग 100 ब्राह्मण परिवार एक साथ रहतें हैं  इन्हीं के परिवार के आंगन में  माँ जगत जननी  दुर्गा  का मंदिर हैं । मंदिर का निर्माण आज से 200 वर्ष पहले मदन बाबु आचार्य के द्वारा किया गया था। मंदिर में पारिवारिक लोगों के द्वारा पूजा अर्चना की जाती हैं । मंदिर के नवनीकरण स्वo अवधेश आचार्य ( गोसाईं गाँव के मास्टर साहब ) के सौजन्य से किया गया था ।

मैया के इस दरबार में कई तरह के तथ्य जुडें हैं । यहाँ मैया की प्रतिमा विराजमान हैं । कलश व जयंती बिठाई जाती हैं । नवाह पाठ परिवार के लगभग सभी मर्द जन करतें हैं । महिलाओं द्वारा हर संध्या भक्ति भजन गीत संगीत होता हैं ।  हर दिन पूजा के बाद ब्राह्मण व कन्या कुमारी को भोजन कराया जाता हैं । प्रत्येक संध्या यहाँ महाआरती होती हैं । जिसमें परिवार के लगभग सैकड़ों लोग उपस्थित होते हैं । आज मंदिर में काफ़ी धूम हैं । सप्तमी पूजा में आज रात्रि  झींगे की निशाबलि (कुष्मांडबलि ) दी जाती हैं । छागर की बलि यहाँ पूर्णतया वर्जित हैं । परिवार जनों ने बताया कि मैया बहुत ही शक्तिशाली हैं । किसी भी विपदा में मैया भगवती तुरंत बेडा पार लगाती हैं । इसलिए हर साल परिवार के सभी जन चाहे वो भारत के किसी भी कोनें में हो दुर्गापूजा में पैतृक घर  जरूर आते हैं ।

वर्तमान में मंदिर के पंडित अखिलेश आचार्य व मंदिर में पुजारी के रूप में रंजन आचार्य हैं । परिवार के बिपिन बिहारी आचार्य , उग्रमोहन आचार्य , अवधेश आचार्य , तपेश आचार्य,डॉo मुरलीधर आचार्य , राजेंद्र आचार्य , कृष्णानंद आचार्य के द्वारा पूजन धूमधाम से हो रहा हैं ।

मंदिर के व्यवस्थापक उग्रमोहन आचार्य ने बताया कि यहाँ दशमी के दिन गाजे - बाजे ,ढोल -नगाड़े के साथ कलश का विषर्जन लक्ष्मीपुर गंगा घाट पर किया जाता हैं ।
पूरे दस दिनों तक परिवार का माहौल पूर्णतया भक्तिमय रहता हैं ।

रचना :
बरुण बाबुल ।