कुल पाठक

शुक्रवार, 27 मार्च 2020

दिल्ली से फ़रियाद : कोरोना से बच भी गए तो पेट की भूख से कौन बचाएगा .??

विशाल कश्यप की रिपोर्ट 

भारत सहित कई देशों के लोग जहां कोरोना वायरस की माहमारी से जूज रहे। वही बिहार राज्य के सैकड़ों मजदूर मजदूरी करने राजधानी दिल्ली शहर में गए । लेकिन अचानक से कोरोना वायरस कि माहमारी के चलते लाँक डाउन कि स्थिति रहने के कारण प्रतिदिन कमाने खाने वालो सैकड़ों मजदूर रिक्शा चालक आँटो चालक, एंव कम्पनी में काम करने वाले मजदूरों की भूख मरी की नौबत आ चुकी है।दिल्ली के मसूदपुर विधानसभा क्षेत्र के बसंत कुंज में मूलरूप से बिहार के भागलपुर जिले के कदवा थाना क्षेत्र कदवा बगडी टोला के निवासी सभी फँसे व्यक्ति एक ही परिवार के सदस्य बताये जा रहे हैं जिनका नाम दयानंद यादव पिता शालो यादव उम्र 25 वष, विधानंद यादव पिता शालो यादव उम्र 22 वष, रामदेव यादव उम्र 45, छगुँली यादव पिता नागेश्वर यादव उम्र 35 वष,विनोद यादव पिता नागेश्वर यादव उम्र 30 वष, अनमोल यादव पिता नागेश्वर यादव उम्र 26 वष अशोक कुमार पिता मणि यादव उम्र 38 वष का भूख से बुरा हाल है।अब ना तो इनके पास राशन बचा है ना ही भाडे या खाने के लिए पैसा। और ऊपर से जिस किराए के मकान में वो रहते उससे भी मकानमालिको द्रारा झगडा कर समान सहित सभी सदस्यों को बाहर का रास्ता दिखा दिया गया है। बहुत विनती के बाद फिर से एक दो दिन में रुम खाली कर देने की शत पर फिर से उन्हें रूम में रहने दिया।अभी तक दिल्ली सरकार या बिहार राज्य सरकार कि तरफ से ऐसे फसे लोगों के लिए कोई भी कदम नहीं उठाया गया है।पूरे देश को कोरोना वायरस कि माहमारी कि प्रकोप से बचाने के लिए प्रधानमंत्री ने देश में लाँक डाउन कर के एक अच्छा फैसला लिया है। लेकिन ऐसे फैसले लेने के बाद किसी भी सरकार या संगठनों कि नजर उन गरीब मजदूरों पर नहीं पडी जो दिन में कमाते तो उनका चूल्हा जलता नही तो इनकी ओर इनका परिवार पानी से ही पेट भर कर रह जाता। उनके लिए 21दिन का लाँक डाउन 21साल के बराबर लग रहा। ऐसे में राज्य सरकार को ये जरूर सोचना चाहिए उन गरीब मजदूरों के लिए कैसे ओर क्या व्यवस्था की जाए जिससे वो सही सलामत अपने घर पर इंतजार में आँखो बिछाई अपने परिजनों से मिल सके।जहाँ तक संभव हो इनकी मदद सरकार या प्रशासन को करनी चाहिए जिससे कि इनकी मौत भूख की वजह से होने से बच जाए। वहीं परिजनों का रो रो कर बुरा हाल है।पत्नी ने रोते हुए एक ही बात कह रही कि मेरे पति को कोई जल्द से जल्द मेरे पास भेज दे। उसके बाद वो यही मजदूरी कर लेगें लेकिन दिल्ली नही भेजेंगे। हमलोगों कही जा भी नहीं सकते जिससे कि किसी को आवेदन या जानकारी दे अवगत कराया जाए।परिजनों ने बताया कि कोई भी मेरी बात एसडीओ सर मुकेश कुमार को तक पहुँचा दे। जिससे कि मेरे पति एंव परिवार के सदस्य वहां से सकुशल घर आ सके।अब देखना ये होगा कि नवगछिया प्रशासन अधिकारीयों द्रारा या क्षेत्रीय नेता जी के द्रारा गरीब मजदूरों के लिए क्या उपाय किया जाता।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें