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मंगलवार, 24 मार्च 2020

नवगछिया - चार हफ्ते की बंदी तो ठीक है, लेकिन दैनिक मजदूर कमाएगे नहीं तो खाएंगे क्या- विश्वास क्षा GS.NEWS

नवगछिया- देश के नाम संबोधन के दूसरे दिन पीएम नरेंद्र मोदी ने सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों से संवाद के जरिए समन्वय बनाने की कोशिश की। कोरोना के खिलाफ लड़ाई में अगले तीन चार हफ्ते को बेहद महत्वपूर्ण बताते हुए उन्होंने सोशल डिस्टेंसिंग (सामाजिक तौर पर दूरी बनाने) को सबसे अहम हथियार करार दिया। इस बावत समाजसेवी सह भागलपुर राजद के पूर्व प्रवक्ता सह मीडिया प्रभारी विश्वास झा ने कहा कि मैं देश के प्रधानमंत्री के संबोधन का सम्मान करता हूँ। इस मुश्किल घड़ी में ज्यादा से ज्यादा सावधानी बरतनी चाहिए। परंतु बिहार में गरीबी चरम सीमा पर है। इसे निति आयोग ने भी माना है।कि यहाँ के लोग ज्यादातर मजदूरी कर अपना पेट पालते हैं। यहाँ लगभग 23 लाख परिवारों को बीपीएल कार्ड है। इसके अलावे लगभग 42 लाख ऐसे परिवार है जो कि कार्ड धारक नहीं हैं। तो ऐसे में राज्य सरकार ने तो एक माह का राशन और तीन माह की पेंशन की घोषणा कर दी। लेकिन वैसे परिवार जो प्राइवेट जाॅब या दुकान कर अपना घर चलाते हैं। या वैसे मजदूर जो प्रतिदिन मजदूरी करते हैं और अपना पेट पालते हैं। उनका आखिर  होगा क्या? 
वे तो जब रोजगार नहीं करेंगे तो यूँ ही मुखमरी की हालत के शिकार हो जाएंगे। ऐसे स्थिति में केंद्र सरकार अपने रिलिफ फंड से 4000 रूपये व राज्य सरकार 6000 रूपये कुल दस हजार रूपये प्रति व्यक्ति की दर से पैकेज की व्यवस्था तत्काल दें। ताकि समान्य स्तर पर सबों को ये लाभ मिल सके। चाहे आमजन किसी भी जाति के क्यों न हों। मेरे विचार से 18 उम्र के व्यक्तियों से इसकी शुरुआत की जाए। तब कही लोग धन कमाने बाहर नहीं निकलेंगे। और बीमारी से निजात भी मिलेगी। सरकार को निर्णय के पूर्व ये घोषणा करना चाहिए कि आखिर लोग अपना भरन पोषण बिना आमदनी के कैसे करेंगे?

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