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बुधवार, 29 जुलाई 2020

नेपाल की सीनाजोरी, लिपुलेख, कालापानी में नेपालियों की घुसपैठ को बताया सही GS NEWS


कालापानी, लिम्पियाधुरा और लिपुलेख समेत 395 वर्ग किलोमीटर के भारतीय इलाके को जबरन अपने नक्‍शे में शामिल करने वाले नेपाल ने अब इन इलाकों में नेपाली नागरिकों की घुसपैठ को वैध बताया है। नेपाल के धारचुला के जिला प्रशासन ने भारत के पत्र के जवाब में दावा किया कि सुगौली संधि के आर्टिकल 5, नक्‍शे और ऐतिहासिक साक्ष्‍यों के आधार पर कालापानी, लिम्पियाधुरा और लिपुलेख नेपाली क्षेत्र है।


नेपाल लगातार सीमा पर तनाव बढाने का प्रयास कर रहा है. पहले तो नेपाल ने कालापानी, लिम्पियाधुरा और लिपुलेख सहित 395 वर्ग किलोमीटर के भारतीय इलाके को पहले तो जबरन अपने नक्‍शे में शामिल किया. उसके बाद अब वह इन इलाकों में नेपाली नागरिकों की घुसपैठ को सही बता रहा है.


दरअसल, भारत ने नेपाल से कहा है कि वह भारतीय क्षेत्र कालापानी, लिम्पियाधुरा, लिपुलेख और गुंजी में अपने नागरिकों की "अवैध" आवाजाही को रोके जिसके जवाब में नेपाल के धारचुला के जिला प्रशासन ने जवाब दिया और कहा कि सुगौली संधि के आर्टिकल 5, नक्‍शे और ऐतिहासिक साक्ष्‍यों के आधार पर कालापानी, लिम्पियाधुरा और लिपुलेख नेपाली क्षेत्र में आता है.

नेपाली प्रशासन को पत्र : स्थानीय मीडिया में आई खबरों के मुताबिक, इस महीने की शुरूआत में नेपाली प्रशासन को लिखे एक पत्र में भारतीय अधिकारी ने कहा कि नेपाली लोग समूह में "अवैध" तरीके से इन क्षेत्रों में प्रवेश करना चाहते हैं, जिससे दोनों देशों के लिए परेशानी पैदा होगी. हिमालयन टाइम्स ने खबर दी है कि उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले में धारचुला के उप जिला आयुक्त अनिल शुक्ला ने 14 जुलाई को लिखे पत्र में नेपाली प्रशासन से ऐसी गतिविधियों की सूचना भारतीय अधिकारियों से साझा करने का भी आग्रह किया.


नेपाल का जवाबनेपाल के दारचुला के मुख्य जिला अधिकारी शरद कुमार पोखरेल के हवाले से अखबार ने कहा, हमें, नेपालियों को (भारतीय) क्षेत्रों में जाने से रोकने के भारत के फैसले के बारे में एक पत्र मिला है और कॉल आया है. अखबार ने कहा कि अपने जवाब में नेपाली अधिकारियों ने कहा कि कालापानी, लिम्पियाधुरा और गुंजी में उसके नागरिकों की आवाजाही "स्वाभाविक" है, क्योंकि ये क्षेत्र देश (नेपाल) से संबंधित हैं.


नेपाल में राजनितिक हलचल तेज: इधर भारत के साथ तनाव के बीच नेपाल में राजनितिक हलचल तेज है. नेपाल की सत्ताधारी कम्युनिस्ट पार्टी के नेता पिछले दिनों एक बार फिर प्रधानमंत्री के पी शर्मा ओली और कार्यकारी अध्यक्ष पुष्प कमल दहल ‘प्रचंड' के बीच सत्ता साझेदारी के समझौते को लेकर वार्ता करने में विफल रहे. पार्टी की शक्तिशाली स्थायी समिति की बैठक बुलाई गई थी. प्रधानमंत्री ओली और प्रचंड के नेतृत्व वाले असंतुष्ट गुट के बीच मतभेदों को सुलझाने के लिए नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी (एनसीपी) की 45 सदस्यीय स्थायी समिति की अहम बैठक तय समय पर होने वाली थी. प्रचंड और पार्टी के कई वरिष्ठ नेता बैठक के लिए तय समय पर प्रधानमंत्री के सरकारी आवास बलुआतार पहुंच गये थे.  खबर अनुसार प्रधानमंत्री के प्रेस सलाहकार सूर्य थापा ने कहा कि दोनों नेताओं को बातचीत के लिए थोड़ा और समय चाहिए इसलिए बैठक स्थगित  कर दिया गया


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