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गुरुवार, 23 जुलाई 2020

20 वर्ष का हुआ विक्रमशीला सेतु , जानिए कैसे समृद्ध हुआ अंग प्रदेश GS NEWS



बीस वर्ष पहले जब विक्रमशिला सेतु का उद्घाटन होने जा रहा था तो लोगों को इस बाद की खुशी थी कि अब यातायात संबंधी मुश्किलों को सामना उनलोगों को नहीं करना पड़ेगा. लेकिन यह खुशी यातायात के मुश्किलों के सामाधान से कहीं अधिक बड़ी थी. क्योंकि इस पुल पर आवागमन की शुरूआत समाज के हर क्षेत्र को बदलकर रख देने वाला था. गंगा इस पार और उस पार का समाज इसी पुल के रास्ते से बड़ी तेज गति से यू टर्न मार कर विकास की लंबी छलांग मारने को तैयार था. 
और ऐसा हुआ भी. 20 वर्ष पहले के बीहर आज शहर की श्रेणी में हैं. कल तक बालू पानी का रोना रोने वाली नवगछिया की धरती सोना उगल रही है. मध्य बिहार से कोसी और सीमांचल का नाता इतना अटूट हुआ कि वक्त और फासले की बात बेमानी हो गयी. आज सेतु पर जब भी हम जाम में फंसते हैं तो इसके संकरे और तंग रास्ते को देख कर तंज कसते हैं लेकिन इस हकीकत को भी हमें स्वीकार करना होगा कि इसी तंग और संकरे रास्ते से होते हुए विकास की बयार ने अंग प्रदेश को और ज्यादा समृद्ध किया है. 
विस्तृत हुआ शहर और कई बाजारों ने लिया आकार 

1990 में दशक में जब विक्रमशिला सेतु निर्माणाधीन था तो लोग अक्सर यह कहा करते थे कि पुल बनने के बाद नवगछिया का व्यवसाय प्रभावित हो जायेगा. समृद्धि भागलपुर में आयेगी. लेकिन लोगों का यह अनुमान गलत था. सेतु बनने के बाद नवगछिया में तीन छोटे बड़े और नये बाजार विस्तृत हो गये. इसमें नवगछिया का जीरो माइल बाजार, जाह्नवी चौक बाजार, हाइलेवल चौक है. विक्रमशिला सेतु पथ पर अब भव्य हॉटल और रेस्टोरेंट देखे जा सकते हैं तो पेट्रोल पंप और लाइन ढ़ाबों से यह गुलजार दिखता है. विक्रमशिला सेतु और नवगछिया में बीच में आने वाले गांवों की महत्ता और ज्यादा बढ़ गयी है. इन गांवों में जमीन के भाव आसमान छू रहे हैं. इसका कारण यह है कि इन गांवों की जमीन सभी प्रकार के व्यवसाय के लिए फिट है. 
खुल गये रोजगार के नये अवसर 

विक्रमशिला सेतु बनने के बाद रोजगार के कई नये रास्ते खुल गये. नवगछिया के गंगा कोसी का किनारा सब्जी और दुग्ध उत्पादक क्षेत्र के रूप में जाना जाता था. लेकिन बीस वर्ष पहले यहां के लोगों के लिए स्थानीय बाजार ही एक मात्र विकल्प था. सेतु पर आवागमन चालू होने के बाद सब्जियां, फल और दूध सीधे भागलपुर पहुंचने लगे. 20 वर्ष पहले दूध को व्यवसायिक नहीं माना जाता था. लेकिन आज प्रत्येक गांव में दुग्ध संग्रहण केंद्र है और दूध का बाजार व्यापक हो चुका है. बड़े छोटे सभी प्रकार के व्यवसायी इस तरह के व्यवसाय से जुड़े हैं. 
स्वस्थ्य के क्षेत्र में बड़ी महत्वपूर्ण भूमिका 

विक्रमशिला सेतु बनने से पहले इलाज के लिए मायागंज मेडिकल कॉलेज जाना गंभीर रोगियों के लिए बिल्कुल ठीक नहीं था. लोग पूर्णियां, खगड़िया, बेगुसराय जाना ज्यादा पसंद करते थे. ऐसे में ज्यादा दूरी की वजह से लोगों की मृत्यु हो जाती थी. लेकिन आज का समय ऐसा है कि अगर सब कुछ ठीक रहा तो नवगछिया के किसी भी इलाके से एक से डेढ़ घंटे में उसे मायागंज अस्पताल में भर्ती कराया जा सकता है. 
उच्च शिक्षा थी चुनौती 

सेतु बनने से पहले उच्च शिक्षा एक चुनौती थी लेकिन आज के समय में ऐसे भी छात्र हैं जो प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी भागलपुर के अच्छे संस्थान से करते हैं तो कई छात्र साइकिल, मोटरसाइकिल, ऑटो, बस आदि से रोज भागलपुर जा कर एमए, लॉ आदि पाठ्यक्रम को पूरा कर रहे हैं. खास कर खरीक, इस्माइलपुर, नवगछिया के ग्रामीण क्षेत्रों और दियारा इलाके की बड़ी संख्या में लड़कियों को रोजाना साइकिल से भागलपुर पढ़ाई के लिए जाते और आते देखा जा सकता है. 
1.
आज में स्टीमर की उस यात्रा को याद कर सिहर उठते हैं 

आजाद हिंद मोरचा के अध्यक्ष राजेंद्र प्रसाद यादव ने कहा कि यह बात वर्ष 1995 के अगस्त माह की बात है. वे बेहद जरूरी काम से भागलपुर निकले थे. गंगा पूरी तरह से लबालब थी और ओर छोड़ भी मुश्किल से नजर आ रहा था. ऐसी स्थिति में वे अपने कुछ दोस्तों के साथ सुबह छ: बजे स्टीमर पर सवार हुए थे. उस समय सावन भादो के माह में गंगा को पार करने में स्टीम को तीन घंटे का वक्ता लग जाता था. लेकिन लगभग एक घंटे बाद ही स्टीमर का इंजन फेल हो गया. स्टीमर नदी के धारों के हवाले हो गया. कभी बायें जा रहा था कभी दायें, कभी सौ मीटर आगे तो कभी पांच सौ मीटर पीछे. स्टीमर पर करीब डेढ़ सौ से दो सौ लोग सवार होंगे लेकिन पूरी तरह से सन्नाटा था. लोग डूब कर मरने के डर से बार बार बेहोश हो रहे थे. कई लोगों ने भगवान को मोटी रकम, भैंसे और बकरे की बली की मनौती रख ली थी. जब शाम सात बज गये तो भूखे प्यासे लोगों ने जीवन की इच्छा छोड़ दी थी. कई लोग राम राम, उ नम: शिवाय का जाप कर रहे थे. तभी दूर अंधेरे में दूसरे स्टीमर की रौशनी दिखायी दी तो लोगों को हौसला मिला और जोर जोर से हल्ला करना शुरू किया. दूसरा स्टीमर धीरे धीरे करीब आने लगा और अंतत: जब एक दम करीब आ गया तो दोनों के मल्लाह यानी चालक ने दोनों स्टीमर को जोड़ दिया. अब चालक दल के सदस्यों ने तय किया कि वे लोग बरारी घाट नहीं जायेंगे बल्कि जो भी करीबी घाट होगा वहां पर स्टीमर को लगा कर लोगों को उतार दिया जायेगा. लगभग तीन घंटे बाद लगभग दस बजे रात को इंजिनयरिंग कॉलेज के पीछे स्टीमर तट पर खड़ा हुआ और लोगों की जान बच गयी. राजेंद्र यादव ने कहा कि जब भी उस घटना को याद करता हूं तो शरीर में सिहरन सी दौड़ जाती है. 
2.
इनकी यादों में है बीस वर्ष पहले की दिक्कतें 

अंगिका के ध्वनिवैज्ञानिक साहित्यकार डा रमेश मोहन शर्मा आत्मविश्वास ने कहा कि पुल बनने के बाद यहां की जिंदगी तेजी से बदल गयी है. संपन्न्ता तो आयी लेकिन जिंदगी की मौलिकता और स्वभाविकता गायब हो गयी. लेकिन यह तो होना ही था. सेतु बनने के बाद नवगछिया व्यापार का हब बन गया. आज के समय में गंगा पार में कोई भी व्यक्ति हो अगर वह कमाना चाह रहा है तो पूंजी और सांसाधन कोई मायने नहीं रखता. वह आसानी से कमाई कर रहा है. सेतु बनने के बाद साहित्यकारों के बीच आपसी समन्वय आसान हुआ है जिससे खास कर आंचलिक साहित्य दिनों दिन समृद्ध हो रहा है. 
3.
गये थे बारात, आज भी वह दिन याद है
सेतु बनने के बाद विक्रमशिला सेतु के सौ मीटर दूर से जाह्नवी बिहार कॉलोनी के रूप में एक मुहल्ला विकसित हो गया है. यहीं के निवासी गंगोत्री जागरण मंच् के राष्ट्रीय अध्यक्ष जदयू नेता गुलशन कुमार ने कहा कि आज से करीब 29 वर्ष पहले उनकी शादी हुई थी. यहां से बारात पिरपैंती के लिए रवाना हुई थी. बारात का संस्मरण कहते कहते गुलशन रोमांचित हो जाते हैं. वे बताते हैं पहले वे लोग ब्रह्म बाबा स्थल के पास रेलगाड़ी जिससे घाट गाड़ी कहा जाता था, उस पर सवार हुए और वहां से हाइलेवल जहाज घाट पहुंचे. वहां बड़े से जहाज पर सवार हुए और बारारी पहुंचे फिर पिरपैंती के लिए रवाना हुए थे. जो भी लोग उनके साथ गये थे आज भी उस बारात को याद कर रोमांचित हो जाते हैं. गुलशन कहते हैं कि उस समय ससुराल जाने के सोचना पड़ता था क्योंकि एक दिन तो जाने में ही लग जाता था. लेकिन आज कभी कभी एक दिन में वे दो बार अपने ससुराल से हो आते हैं. वास्तव में सेतु ने यहां के लोगों की जिंदगी को साकारात्मक तरीके से बदल दिया है. 
4.
नवगछिया बाजार के संतोष गुप्ता कहते हैं कि विक्रमशिला पुल के पहले भागलपुर जाना एक कठिन परीक्षा की थी. नवगछिया से भेड़ बकरी की तरह खचाखच भरी जीत औ बालू के रेल पर पैदल अपने लगेज के साथ स्टीमर पर जल्दी पहुंचने की जद्दोजहद और फिर स्टीमर पर चढ़ कर उस पार पहुंचना चांद को छूने जैसा प्रतीत होता था. उस पार में ऑटो शहर पहुंच कर अपने कार्य में थोड़ी भी देरी हो जाय तो पुन: नवगछिया पहुंचना मुश्किल. विक्रमशिला नवगछिया के लाइफ लाइन साबित हुआ. जिसने बुरे दिनों को हमेशा के लिए भुला दिया है. 
5.
खेल गुरू और ताइक्वांडो संघ के जिला महासचिव घनश्याम प्रसाद ने कहा कि एक बार वे लोग क्रिक्रेट खेलने पूरी टीम के साथ भागलपुर गये थे. उनलोगों ने मैच जीत लिया और वहां से खुश हो कर वापस घर आ रहे थे. बरारी पहुंचने पर पता चला कि अभी तुरंत आज का अंतिम स्टीमर खुल चुकी है. उनलोगों ने देखा कि महज तीन मीटर दूर ही स्टीमर है. वे लोग चाह कर भी कुछ नहीं कर सकते थे. अब रात कहां ठहरें या समस्या थी. कुछ खिलाड़ियों के संबंधी भागलपुर में ही थे. लेकिन पूरी टीम के साथ किसी संबंधी के यहां जाना अच्छा नहीं लग रहा था. क्योंकि बीस लोगों के लिए तुरंत भोजन की व्यवस्था करना किसी के मत्थे मढ़ देना भी अच्छा नहीं लग रहा था. अंतत: एक खिलाड़ी के संबंधी ने पूरी टीम को घाट पर खड़े देख लिया. फिर उन्होंने सबों को अपने घर ले कर गये. उनके घर में एक बड़ा हॉल था. उनलोगों के लिए बाकायदा खाने पीने और सोने का इंतजाम किया गया. वे लोग फिर अगली सुबह घर के लिए रवाना हुए थे.
विक्रमशिला सेतु के 10 फायदे

1. यातायात के क्षेत्र में क्रांतिकारी बदलाव, इस पार और उसपार की घटी दूरियां, दिन भर का सफर अब महज चंद मिनटों में, कोसी और सीमांचल से भी जुड़ गया मध्य बिहार. 

2. नवगछिया के कई इलाके विकास की मुख्यधारा से जुड़े. जमीनें हुई महंगी, स्थापित हो गए नए बाज़ार, लाइन ढाबों और आलीशान होटलों से नवगछिया हुआ गुलजार. 

3. स्वास्थ्य के क्षेत्र में भी आया आमूलचूल बदलाव, सरकारी स्वास्थ्य केंद्रों को होने लगी मॉनिटरिंग, गंभीर रोगियों के एम्बुलेंस सीधे पहुंच रहे मेडिकल कॉलेज अस्पताल। सक्षम लोग शहर के निजी क्लीनिकों और अस्पतालों में करवा पा रहे हैं इलाज. 

4. हुई श्वेतक्रान्ति, दुग्ध उत्पादन करना हो गया एक व्यवसाय, कई लोग रोजगार से जुड़े. 

5. सब्जी, केला, आम, लीची को भी मिला पहले से बेहतर बाजार. छोटे किसान सीधे पहुंच जाते हैं अपने उत्पाद के साथ बाजार
6. शिक्षा के क्षेत्र में भी छलांग, अब भागलपुर साइकिल से पढ़ने जाती है बिटिया, उच्च शिक्षा की भी हो रही विवि से प्रॉपर मॉनिटरिंग, सुधरे हालात

7. पूर्णियां के बाद मक्के का बड़ा बाजार बन गया नवगछिया. किसान व व्यवसायी आसानी से कर पा रहे हैं खरीद बिक्री. 

8. तरह तरह के रोजगारों का हुआ सृजन, मेहनत मजदूरी करने वाले आसानी से कर रहे हैं कमाई. 

9. सुधरे प्रशासनिक हालात, योजनाओं को क्रियान्वित करना हुआ आसान, अब हर गांव पर नजर रख सकता है जिला प्रशासन

10. सांस्कृतिक, साहित्यिक, लोकतात्विक बदलाव भी हुए, लोकगीत और लोककला में भी आया बदलाव.
ध्यान देने लायक बातें


1. जाम को नियंत्रित करने के लिये बनानी होगी ठोस रणनीति, भागलपुर और नवगछिया पुलिस को रखना होगा बेहतर सामंजस्य. 

2. सेतु पर वन वे परिचालन को सख्ती करना होगा लागू, पर्याप्त पुलिसकर्मियों की करनी होगी तैनाती. 

3. पुल पर एकाएक खराब हुए वाहनों को तुरंत हटाने के लिये करनी होगी क्रेन या किरान की व्यवस्था.

4. सेतु पथ पर जाम ना लगे इसके लिये ब्रांच सड़कों को भी सुदृढ़ कर उसे बेहतर उपयोग में लाया जा सकता है. 

5. हादसों से निपटने के लिये वाहनों की गति सीमा का हो सख्त निगरानी.

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