ये ग्रहण दक्षिण एशिया के कुछ हिस्सों में, अमेरिका, यूरोप और ऑस्ट्रेलिया में दिखाई देगा. 2020 के बाकी चंद्र ग्रहण की तरह ही यह भी एक उपच्छाया चंद्र ग्रहण होगा. इस ग्रहण में पृथ्वी चंद्रमा और सूर्य के बीच में आ जाती है, लेकिन पृथ्वी की बाहरी छाया ही चंद्रमा को छू पाती है. ऐसे में चंद्रमा के आकार में कोई परिवर्तन नहीं आता है. ज्योतिष के अनुसार उपच्छाया चंद्र ग्रहण को सामान्य ग्रहण की श्रेणी में नहीं रखा जाता.
शुभ नहीं है एक महीने में तीन ग्रहण
पांच जून से लेकर पांच जुलाई के बीच का यह तीसरा ग्रहण है. ज्योतिषियों की मुताबिक एक महीने में अंतराल में तीन ग्रहण का पड़ना अशुभ माना जाता है. इसके प्रभाव से प्राकृतिक आपदाओं का सामना करना पड़ सकता है.
पूरे आकार में नजर आएगा चंद्रमा
इस बार ग्रहण में चंद्रमा पूरे आकार में नजर आएगा. इस बार ग्रहण में चांद कटा हुआ नहीं दिखेगा. अमूमन ग्रहण में चंद्रमा कटा हुआ दिखाई देता है.
खुली आंखों से भी देख सकतें हैं ग्रहण
चंद्र ग्रहण को खुली आंखों से भी देखा जा सकता है. सूर्य ग्रहण में जहां आंखों से देखने पर नुकसान होने की संभावना रहती है, वहीं चंद्र ग्रहण में ऐसा कुछ नहीं होता है.
चंद्रग्रहण कैसे लगता है?
चंद्र ग्रहण एक खगोलीय स्थिति से उत्पन्न एक घटना है. जब चंद्रमा और सूर्य के बीच में पृथ्वी जाती है, तब चंद्र ग्रहण लगता है. यह घटना पूर्णिमा तिथि को ही घटती है. इसदौरान सूर्य चंद्रमा और पृथ्वी तीनों एक ही लाइन पर होती है.
5 जुलाई को साल का तीसरा चंद्र ग्रहण
5 जुलाई को साल का चौथा ग्रहण लग रह है. जबकि साल का तीसरा चंद्र ग्रहण लगेगा. 30 दिनों के अंदर लगने वाला ये तीसरा ग्रहण है. सबसे पहला चंद्र ग्रहण 10 जनवरी को लगा था. दूसरा चंद्र ग्रहण 5 जून को लगा था जबकि सूर्य ग्रहण 21 जून को लगा था. 5 जुलाई 2020 का चंद्र ग्रहण एक उपछाया चंद्र ग्रहण होगा. इसका प्रभाव भी भारत में नहीं पड़ेगा इसलिए इसके सूतक काल की भी मान्यता नहीं होगी. उपछाया चंद्र ग्रहण पृथ्वी के बाहरी छाया पर ही पड़ेगी.
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