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रविवार, 5 जुलाई 2020

गुरु पूर्णिमा पर फेसबुक लाइव में बोले स्वामी आगमानंद जी महाराज : प्रत्येक दिन गुरु के लिए वंदनीय GS NEWS





नवगछिया  - परमहंस स्वामी आगमानंद जी महाराज ने संध्या 4 बजे फेशबुक पेज पर लाइव के माध्यम से आशीर्वचन देते हूए कहा कि  जीवन में गुरु एवं शिष्य के महत्व आने वाले पीढ़ी को बताने के लिए यह दिन एक आदर्श है. गुरु का आशीर्वाद सर्वाधिक कल्याणकारी एवं ज्ञानवर्धक होता हैं. यह महोत्सव संस्कृत के प्रकांड विद्वान चारों वेद के रचयिता महर्षि वेद व्यास को समर्पित हैं. उनका जन्म आषाढ़ माह के पूर्णिमा के दिन हुआ था. उनके सम्मान में यह पर्व या महोत्सव भारत में धुम धाम से मनाया जाता है. जीवन में हम जो कुछ भी प्राप्त करते हैं कहीं न कहीं गुरु की कृपा का ही फल है. गुरू परंपरा का जड़ भगवान बिष्णु से है. जितनी भी परंपरा हैं सभी मूल रूप से भगवान से जुडा हूआ है. गुरू तत्व अपने शिष्यों को इच्छा, ज्ञान व क्रिया शक्ति प्रदान करती है. गुरु का मतलब शिक्षक से नहीं बल्कि गुरु माता-पिता, भाई, दोस्त किसी भी रूप में हो सकते हैं. जिनका नाम सुनते ही हृदय में सम्मान का भाव जगता है. सम्मान प्रकट करने के लिए किसी दिन का नहीं बल्कि प्रत्येक दिन गुरु वंदनीय होते हैं. हालांकि, जीवन की आपाधापी में भौतिक रूप जीवन निर्माता के प्रति कृतज्ञता जाहिर करने का मौका नहीं मिलता है. ऐसे में गुरु पूर्णिमा वो खास दिन होता है. स्वामी जी ने अंत में सभी के लिए ईश्वर से मंगल की कामना किया.तथा  इस वैश्विक कोरोना संक्रमण में सावधानी बरतने की हिदायत दी.  इस फेशबुक लाइव में देश के कोने कोने से हजारों की संख्या में स्वामी जी के अनुयायी जुडे रहें . वहीं स्वामी जी अनुयायी पंकज कुमार भारती ने बताया कि  नवगछिया अनुमंडल स्थित शिव शक्ति योग पीठ आश्रम, माता श्माशानी उग्र कालिका सिद्ध शक्ति पीठ नगरह वैशी, दुर्गा मंदिर नगरह समेत अन्य जगहों के साथ अपने अपने घरों में स्वामी आगमानंद जी महाराज का फोटो, एवं चरण पादुका का दर्शन पुजन कर महा प्रसाद का वितरण कर ग्यारहवीं गुरु पूर्णिमा महोत्सव को मनाया साथ ही सिद्ध शक्ति पीठ नगरह वैशी में छप्पन भोग लगाया गया और मंदिर परिसर को फूलों से भव्य श्रृंगार भी किया गया. इस पुजन में मंदिर कमिटी के कुन्दन सिंह, उमेश जयसवाल, पप्पू कुमार, संजीव भगत, गौरव कुमार, राज कुमार साह,माधवान्द ठाकुर, विहान सिंह, शरद जोशी, सुरज आदि लगे हुए थे.

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